आरबीआई ने सीबीएस सहकारी बैंकों को प्रायोजक बैंकों के साथ मिलकर एटीएम कार्ड जारी करने की अनुमति दी-(19-JUL-2015) C.A

| Sunday, July 19, 2015
16 जुलाई 2015 को भारतीय रिजर्व बैंक ने कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस) वाली सहकारी बैंकों को प्रायोजक बैंकों के साथ मिलकर एटीम कार्ड/ एटीम–सह–डेबिट कार्ड जारी करने की अनुमति दे दी. 

आरबीआई ने यह फैसला कम–नगद अर्थव्यवस्था की तरफ कदम बढ़ाने की कोशिश और बैंक के ग्राहकों में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट चैनलों के इस्तेमाल की आदत विकसित करने के उद्देश्य से किया है.
 
इसके अलावा, इन सहकारी बैंकों को राष्ट्रीय वित्तीय स्विच (एनएफएस) के उप–सदस्य होने के नाते प्रायोजक बैंक द्वारा निर्धारित जोखिम प्रबंधन जरूरतों को पूरा करना होगा और प्रायोजक बैंक के साथ हुए समझौते के तहत उन पर आए खर्चों का जिम्मा लेना होगा.
साथ ही बैंकों को कार्ड्स जारी करने, कार्जों के अधिकार देने और कस्टमर सपोर्ट/ निवारण तंत्र और अपने ग्राहको को निर्बाध सेवाएं मुहैया कराना सुनिश्चित करने के लिए खुद का प्रबंध करना चाहिए. 

आरबीआई ने यह फैसला सहकारी बैंकों द्वारा खुद के एटीएम नहीं होने पर मिली प्रस्तुतियों और खुद के नए एटीएम नेटवर्क वाले बैंकों के साथ मिलकर अपने ग्राहकों को एटीएम–सह–डेबिट कार्डों को जारी करने की अनुमति मांगने पर गौर करने के बाद किया है.
इस प्रकार के लेनदेन को करने के लिए एनएफएस के प्रत्यक्ष सदस्य या एक उप–सदस्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए अभ्यावेदन जांच करने के बाद आरबीआई ने यह फैसला किया है.

एनएफएस का उप–सदस्य बनने के लिए निम्नलिखित मानदंड हैं–
• पूरी तरह से लागू कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस). 
• बैंकिंग व्यापार करने के लिए लाइसेंस 
• प्रायोजक बैंक ( एक बैंक जिसके पास खुद का एटीएम नेटवर्क कनेक्टिविटी हो) से परिचय
• नेशनल पेमेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) से कनेक्टिविटी 

यह फैसला आरबीआई द्वारा 16 अप्रैल 2015 को किए गए फैसले का अगला कदम है जिसमें आरबीआई ने राज्य सहकारी बैंकों को अपनी जरूरतों और क्षमताओं के अनुसार संचालन इलाके में ऑफसाइट/ मोबाइल एटीएम लगाने की अनुमति दी थी. 

हालांकि वे आरबीआई से पूर्व अनुमति लेकर और निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करने के बाद ही मोबाइल एटीएम लगा सकते हैः 
• CRAR 9 फीसदी से कम नहीं किया जा सकता.
• पिछले वित्त वर्ष के दौरान सीआरआर/एसएलआर के रखरखाव में कोई दोष नहीं. 
• शुद्ध एनपीए 5 फीसदी से कम होना चाहिए. 
• नियामक अनुपालन का ट्रैक रिकॉर्ड बैंक के पास होना चाहिए और बीते दो वित्त वर्षों के दौरान बैंक पर आरबीआई के निर्देशों/ दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए किसी प्रकार का मौद्रिक दंड न लगाया गया हो.

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