केंद्रीय कृषि मंत्री ने पीजीएस-इंडिया, एसएचसी एवं एफक्यूसीएस वेब पोर्टल का शुभारंभ किया-(18-JUL-2015) C.A

| Saturday, July 18, 2015
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने 15 जुलाई 2015 को सहभागिता गारंटी प्रणाली (पीजीएस-इंडिया), मृदा हेल्थ् कार्ड (एसएचसी) एवं उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली (एफक्यूसीएस) वेब पोर्टल का शुभारंभ किया.
पीजीएस-इंडिया, एसएचसी एवं एफक्यूसीएस से संबंधित मुख्य तथ्य:
•    सहभागिता गारंटी प्रणाली- भारत (पीजीएस-इंडिया) 
सहभागिता गारंटी प्रणाली जैविक उत्पादों के प्रमाणन की एक प्रक्रिया है, जो जैविक उत्पादों के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार कृषि उत्पाादन की प्रक्रिया और वांछित गुणवत्ता  को बनाए रखना सुनिश्चित करती है. इसे दस्तावेजी लोगो अथवा विवरण के रूप में प्रदर्शित किया गया है. 

घरेलू जैविक बाजार के विकास को बढ़ावा देने के लिए और जैविक प्रमाणीकरण की आसान पहुंच के लिए तथा छोटे एवं सीमान्त  किसानों को समर्थ बनाने के लिए कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक विकेन्द्रीकृत जैविक कृषि प्रमाणन प्रणाली “भारत की सहभागिता प्रतिभूति प्रणाली” (पीजीएस-इंडिया) लागू की गई है. यह लागत प्रभावी, किसानों के अनुकूल, परेशानी से मुक्त है. यह प्रमाणन की थर्ड पार्टी सिस्टम से भिन्न  है और जैविक उत्पाद की निर्यात बाजार में प्रवेश के लिए पहली आवश्यक्ता है.
यह गुणवत्ता आश्वासन के लिए एक प्रकार का पहल है, जो प्रमाणीकरण प्रणाली में उत्पादकों / किसानों, व्यापारियों सहित हितधारकों की सक्रिय भागीदारिता के साथ स्थानीय रूप से संबद्ध है. इस समूह प्रमाणीकरण प्रणाली को परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) का समर्थन प्राप्त है. एक प्रकार से यह जैविक उत्पाद की स्वदेशी मांग को सहायता पहुंचाती है और किसान को दस्तावेज प्रबंधन और प्रमाणीकरण प्रक्रिया से जुड़ी अन्य आवश्यकताओं से संबंधित प्रशिक्षण देती है और यदि वह निर्यात का विकल्प चुनता है तो उसे थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन के लिए तैयार करती है.
इस प्रमाणीकरण प्रणाली के ऑनलाइन प्रचालन के लिए एक वैब पोर्टल : http;//www.pgsindia-ncof.gov.in तैयार किया गया है. इस वैब पोर्टल में (i) पंजीकरण (ii) अनुमोदन (iii) दस्तावेजीकरण (iv) निरीक्षण के रिकार्ड और (v) प्रमाणीकरण के लिए ऑनलाईन सुविधा उपलब्द है. यह प्रमाणीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता को बढावा देगा.
•    सॉयल हेल्थ कार्ड (एसएचसी) 
वर्तमान में किसानों द्वारा प्राथमिक पोषक तत्वों (एनपीके) के लिए सामान्य उर्वरक सिफारिशों का अनुसरण किया जाता है. तथापि, गौण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों को प्राय: अनदेखा किया जाता है इस कारण सल्फर, जिंक और बोरोन जैसे पोषक तत्वों की कमी हो जाती है. यह खाद्य उत्पादकता बढ़ाने में एक बाधक घटक हो गया है. इसे ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार सॉयल जांच आधारित संतुलित एवं उचित रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग के साथ-साथ जैव उर्वरकों और स्थानीय रूप से उपलब्ध जैविक खादों को बढ़ावा दे रही है.
भारत सरकार सॉयल जांच प्रयोगशालाओं को सुदृढ़ करने/स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों को सहायता उपलब्ध कराती है. कुछ राज्यों ने सॉयल हेल्थ कार्ड जारी किए परंतु इसमें राज्यों  के बीच नमूने लेने, जांच करने और सॉयल हेल्थ कार्ड वितरण करने में कोई समान प्रतिमान नहीं थे. यह पहली बार है जब भारत सरकार ने सॉयल प्रबंधन पद्धतियों को बढ़ावा देने  को पुन: स्थापित करने के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड योजना प्रारंभ की है.
एसएचसी योजना राज्य सरकारों को सॉयल हेल्थ कार्ड जारी करने और सेवा सुपुर्दगी सुधारने के लिए एक डाटा बेस विकसित करने हेतु भी सहायता उपलब्‍ध कराएगी. 
इसके तहत राष्ट्रीय सहमति के प्रतिमान/मानक 10 हैक्टेयर वर्षा सिंचित क्षेत्रों से और 2.5 हैक्टेयर सिंचित क्षेत्रों से सॉयल नमूने संकलन के लिए प्रयुक्त किया जाएगा. किसानों से 2.53 करोड़ नमूने संकलित किए जायेंगे और तीन वर्ष में एक बार 14 करोड़ एसएचसी तैयार करने के लिए इनका परीक्षण किया जाएगा.
इस योजना के अंतर्गत, सॉयल नमूनों के पंजीकरण, नमूनों के जांच परिणामों के रिकार्डिंग और उर्वरक सिफारिशों के साथ-साथ सॉयल हेल्थ कार्ड तैयार करने के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड पोर्टल विकसित किया गया है. यह एकमात्र, जेनरिक, समान, वैब आधारित साफ्टवेयर है जिसके लिए यूआरएल www.soilhealth.dac.gov.in पर संपर्क किया जा सकता है. यह निम्नलिखित माडयूलों (I) सॉयल नमूने पंजीकरण (II) सॉयल जांच प्रयोगशाला द्वारा जांच परिणाम प्रविष्टि (III) एसटीसीआर और जीएफआर पर आधारित उर्वरक सिफारिशों (IV) उर्वरक सिफारिश एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों के सुझावों के साथ-साथ सॉयल हेल्थ कार्ड तैयार करने (V) प्रगति की निगरानी करने के लिए एमआईएस माड्यूल के साथ एक कार्य प्रवाह आधारित प्रणाली है.
इस योजना के क्रियान्वयन के लिए 12वीं योजना के दौरान 568.54 करोड़ रू० व्यय की मंजूरी दी गई है. वर्तमान वर्ष (2015-16) के लिए 96.46 करोड़ रूपये (केंद्रीय अंश) का आवंटन किया गया है. इस योजना का क्रियान्वयन 50:50 केन्द्रीय एवं राज्य सरकारों के योगदान के आधार पर किया जाएगा.
उर्वरक गुणवत्ता‍ नियंत्रण प्रणाली (एफक्यूसीएस) 
उर्वरक मिट्टी की कृषि उत्पादकता को उत्प्रेरित करने में महत्वंपूर्ण भूमिका निभाते हैं. किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, उर्वरक को 1957 में आवश्यक वस्तुु के रूप में उद्घोषित किया गया था तथा आवश्यक वस्तु उत्पाद अधिनियम (ईसीए) 1955 के खंड 3 के तहत मार्च, 1957 में देश में उर्वरकों की गुणवत्ता, व्यापार और वितरण विनियमित करने तथा देश में उर्वरकों के वितरण के लिए उर्वरक (नियंत्रण) आदेश (एफ सी ओ) लागू किया गया था. एफ सी ओ को 1985 में संशोधित करके पुन: अधिनियमित किया गया था.
एफ सी ओ में देश में विनिर्मित या आयातित तथा बेचे जाने वाले गए उर्वरकों के विशिष्टीकरण, उर्वरक विनिर्माताओं, आयातकों तथा डीलरों का अनिवार्य पंजीकरण; उर्वरकों के नमूना एकत्रीकरण तथा विश्लेषण की पद्धति; उर्वरक निरीक्षको की नियुक्ति; उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं की स्थापना तथा जो उर्वरक एफ सी ओ के प्रावधान के अनुरूप नहीं हैं, उनके निर्माण/आयात तथा विक्रय पर प्रतिबंध लगाने का प्रावधान है.
इस समय देश में 78 अधिसूचित उर्वरक गुणवत्ता  नियंत्रण प्रयोगशालाएं (एफक्यूसीएल) हैं. इनमें से 4 प्रयोगशालाएं, यथा केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता‍ नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीएफक्यूसीएंडटीआई) तथा इसकी 3 क्षेत्रीय उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशालाएं नवी मुंबई, चेन्नई तथा कल्या‍णी में स्थित हैं जो केंद्र सरकार के नियंत्रणाधीन हैं तथा शेष विभिन्न राज्य सरकारों के नियंत्रणाधीन हैं.

विदित हो कि भारत अपनी मांग को पूरा करने के लिए विभिन्न उर्वरकों का भारी मात्रा में आयात करता है. यूरिया की लगभग 25 से 30 %, डीएपी की 90% तथा एमओपी की 100 % आवश्यकता आयात द्वारा पूरी की जाती है. केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण एवं प्रशिक्षण संस्थान तथा इसकी तीनों क्षेत्रीय उर्वरक नियंत्रण प्रयोगशालाओं को आयातित उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच का उत्तरदायित्व सौंपा गया है. राज्य सरकारों की प्रयोगशालाएं विनिर्माण इकाइयों, खुदरा /थोक विक्रेताओं, गोदामों आदि जैसे स्वदेशी स्रोतों से नमूने एकत्र कर उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच करती है.

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