भारतीय पारिस्थितिकी विद डॉ. कमल बावा रॉयल सोसायटी में शामिल-(15-JUL-2015) C.A

| Wednesday, July 15, 2015
भारत के जैव और पर्यावरण विज्ञानी डॉ. कमल बावा को रॉयल सोसायटी के लिए चुना गया. इसकी घोषणा 3 जुलाई 2015 को की गई. डॉ. कमल बावा का चयन संरक्षण विज्ञान में उल्लेखनीय योगदान करने के लिए किया गया.
बोस्टन में यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाच्युसेट्स में जीव विज्ञान के प्रोफेसर 76 वर्ष के डॉ. कमल बावा को 10 जुलाई 2015 को आइजैक न्यूटन, चार्ल्स डॉर्विन, अल्बर्ट आइंस्टीन, स्टीफन हॉकिंग और 80 नोबेल प्राप्त हस्तियों व मौजूदा फेलो के साथ जुड़ गया.

द रॉयल सोसायटी 
रायल सोसायटी विज्ञान के विकास को गति देने के लिये स्थापित विद्वानों की संस्था (learned society) है. इसकी स्थापना सन् 1660 में की गई थी. इसका पूरा नाम रायल सोसायटी  ऑफ़ लंदन फॉर द इम्प्रूवमेंट ऑफ़ नेचुरल नॉलेज (Royal Society of London for the Improvement of Natural Knowledge) है. अधिकांश लोग इसे अपने तरह की संसार की सबसे पुरानी संस्था मानते हैं. 

डॉ. कमल बावा से सम्बंधित तथ्य
भारतीय पारिस्थितिकी विद डॉ. कमल बावा को वर्ष 2014 के जैव विविधता के लिए मिदोरी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

भारतीय मूल के जीव वैज्ञानिक डॉ. कमल बावा भारत में कर्नाटक के बेंगलुरू स्थित गैर सरकारी थिंकटैंक, अशोका ट्रस्ट फॉर रिसर्च इन इकॉलॉजी एंड एनवायरमेंट (एट्री) के संस्थापक और उसके अध्यक्ष हैं. वह युनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स, बोस्टन में जीव विज्ञान के प्रोफेसर हैं.

पर्यावरण विद डॉ.कमल बावा को वैश्विक सतत विकास की दिशा में विज्ञान के क्षेत्र में किए गए उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए वर्ष 2012 में पहला गुनेरस अवार्ड इन सस्टैनिबिलिटी साइंस (Gunnerus Award in Sustainability Science) दिया गया जो एक अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार था. यह पुरस्कार डीकेएनवीएस के संस्थापक बिशप जॉन अर्नस्ट गुनेरस  (1718-1773) के नाम पर स्थापित किया गया. यह पुरस्कार रॉयल नॉर्वेजियन सोसायटी ऑफ साइंसेस एंड लेटर्स (डीकेएनवीएस) द्वारा प्रति दो वर्ष बाद दिया जाता है.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में स्थिरता विज्ञान में रफोलो जॉर्जियो फेलोशिप और बुलार्ड फेलोशिप प्राप्त थी.

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