केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2015 को भारत और यूरोपीय संघ के मध्य भारत-यूरोपीय संघ (ईयू) के व्यापक आधार वाले निवेश एवं व्यापार समझौते (ईयू-BTIA) की वार्ता को लंबित करने का निर्णय लिया है.
यह निर्णय केंद्र सरकार ने ईयू द्वारा 700 से अधिक फार्मा उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाये जाने के बाद लिया है जिनका हैदराबाद के जीवीके बायोसाइंसेज़ द्वारा परीक्षण किया गया था.
सरकार पिछले 8 महीनों से विभिन्न यूरोपीय संघ के नियामकों के तहत इस मुद्दे पर बातचीत कर रही है.
फार्मास्युटिकल उद्योग भारत के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जिसने पिछले कुछ वर्षों में मजबूत अनुसंधान और सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से अपनी प्रतिष्ठा विकसित की है. इसलिए, केंद्र सरकार इस संबंध में सभी विकल्पों की जांच करेगी. यह बताना प्रासंगिक है कि इनमें से अधिकतर दवाएं ईयू बाज़ार में पहले से ही बिना किसी सतर्कता के विद्यमान हैं.
यह निर्णय केंद्र सरकार ने ईयू द्वारा 700 से अधिक फार्मा उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबन्ध लगाये जाने के बाद लिया है जिनका हैदराबाद के जीवीके बायोसाइंसेज़ द्वारा परीक्षण किया गया था.
सरकार पिछले 8 महीनों से विभिन्न यूरोपीय संघ के नियामकों के तहत इस मुद्दे पर बातचीत कर रही है.
फार्मास्युटिकल उद्योग भारत के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है जिसने पिछले कुछ वर्षों में मजबूत अनुसंधान और सुरक्षा प्रोटोकॉल के माध्यम से अपनी प्रतिष्ठा विकसित की है. इसलिए, केंद्र सरकार इस संबंध में सभी विकल्पों की जांच करेगी. यह बताना प्रासंगिक है कि इनमें से अधिकतर दवाएं ईयू बाज़ार में पहले से ही बिना किसी सतर्कता के विद्यमान हैं.
भारत और यूरोपीय संघ के वार्ताकारों के मध्य 28 अगस्त 2015 का समय दो साल के अंतराल के बाद वाणिज्य और निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए निर्धारित किया गया था.
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