विश्व बैंक ने वर्ष 2016-17 वित्त वर्ष के लिए भारत की विकास दर के 7.6% के अपने पिछले अनुमान को 7% कर दिया है. विश्व बैंक ने कहा है कि सरकार के द्वारा बड़े मूल्य के नोटों को तत्काल प्रभाव से हटाने के निर्णय से वर्ष 2016 में अर्थिक वृद्धि धीमी पड़ी है.
तेल की कीमतों में कमी एवं कृषि उत्पाद में ठोस वृद्धि से नोटबंदी की चुनौतियों का प्रभाव काफी हद तक कम हो जाएगा. भारत चीन से आगे निकल कर सबसे तीव्र वृद्धि कर रही प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है.
विश्व बैंक से संबंधित मुख्य तथ्य:
• विश्व बैंक ने कहा है कि वर्तमान में संचालित मुद्रा की एक बड़ी मात्रा की तत्काल वापसी तथा भारत में नए नोट के तत्काल संचालन ने भारत की विकास दर को धीमा करने में योगदान दिया है.
• इसके बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था ने विश्व की सबसे तेज अर्थव्यवस्था का ताज अपने नाम बरक़रार रखा है. इसके अतिरिक्त, देश वर्ष 2018-19 एवं वर्ष 2019-20 वित् वर्ष में क्रमश: 7.6 और 7.8% की वृद्धि दर हासिल करेगा.
• बुनियादी ढ़ांचे पर खर्च बढऩे से कारोबार का वातावरण सुधरेगा तथा निकट भविष्य में अधिक निवेश आएगा. विश्व बैंक की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मेक इन इंडिया अभियान से देश के विनिर्माण क्षेत्र को मदद मिलेगी. इस क्षेत्र को घरेलू मांग और नियमों में सुधार का भी फायदा होगा.
• महंगाई दर में कमी तथा सरकारी कर्मचारियों के वेतन मान में सुधार से भी वास्तविक आय और उपभोग के बढ़ने में मदद मिलेगी.
• इसी संदर्भ में अनुकूल वर्षा और बेहतर कृषि उपज का भी उल्लेख किया गया है.
• सरकार ने 8 नवंबर 2016 की रात को नोटबंदी की घोषणा की, जिसके तहत 1000 रुपए और 500 रुपए के तात्कालिक नोटों को प्रचलन से बाहर कर दिया गया. इसके बाद विश्व बैंक की यह पहली रिपोर्ट हैं.
• इसमें कहा गया है कि नोटबंदी को लागू करने से अन्य आर्थिक सुधारों जैसे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), श्रम और भूमि सुधारों को नुकसान पहुंच सकता है.
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