भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) के वैज्ञानिकों की टीम ने जनवरी 2017 को अंडमान एवं निकोबार द्वीप में अदरक की एक नयी प्रजाति की खोज की.
इस नयी प्रजाति को जिंजीबर स्यूडोस्क्वेयरसम नाम दिया गया है. यह जिंजिबर प्रजाति से संबंध रखती है.
इस नयी प्रजाति को जिंजीबर स्यूडोस्क्वेयरसम नाम दिया गया है. यह जिंजिबर प्रजाति से संबंध रखती है.
मुख्य विशेषताएं
• इसे इसके औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है जिसे जनजातीय समुदाय के लोग अक्सर प्रयोग करते हैं.
• इस प्रजाति का स्टेम लाल रंग का होता है.
• इसका फूल कमल के आकार का होता है तथा इस पर लगने वाला फल सिंदूरी रंग का होता है.
• इसकी जड़ें नलिका आकार की होती है जबकि यह कुम्भाकार तरीके से फैलता है.
• इसकी रूपात्मक तथा इसकी बनावट इसे इस प्रजाति से अलग बनाती है.
• अदरक की अन्य प्रजातियों की भांति ही यह भी खाद्य है तथा इसे वनस्पति की भांति उपयोग किया जा सकता है.
• इसके एथनो-औषधीय गुण उदर सम्बंधित विकार दूर करते हैं.
उष्णकटिबंधीय एशिया में अदरक की 140 से अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं जिसमें चीन, जापान तथा उष्णकटिबंधीय ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं. इसमें से 20 प्रजातियां अकेले भारत में ही मौजूद हैं जबकि 20 में से 7 अंडमान निकोबार द्वीप में मौजूद हैं.
• इसे इसके औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है जिसे जनजातीय समुदाय के लोग अक्सर प्रयोग करते हैं.
• इस प्रजाति का स्टेम लाल रंग का होता है.
• इसका फूल कमल के आकार का होता है तथा इस पर लगने वाला फल सिंदूरी रंग का होता है.
• इसकी जड़ें नलिका आकार की होती है जबकि यह कुम्भाकार तरीके से फैलता है.
• इसकी रूपात्मक तथा इसकी बनावट इसे इस प्रजाति से अलग बनाती है.
• अदरक की अन्य प्रजातियों की भांति ही यह भी खाद्य है तथा इसे वनस्पति की भांति उपयोग किया जा सकता है.
• इसके एथनो-औषधीय गुण उदर सम्बंधित विकार दूर करते हैं.
उष्णकटिबंधीय एशिया में अदरक की 140 से अधिक प्रजातियां पायी जाती हैं जिसमें चीन, जापान तथा उष्णकटिबंधीय ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं. इसमें से 20 प्रजातियां अकेले भारत में ही मौजूद हैं जबकि 20 में से 7 अंडमान निकोबार द्वीप में मौजूद हैं.
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