मनरेगा में रोजगार के लिए आधार कार्ड जरूरी-(17-JAN-2017) C.A

| Tuesday, January 17, 2017
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत रोजगार हासिल करने के लिए अब आधार कार्ड का होना जरूरी है. मनरेगा के तहत प्रत्येक परिवार के एक सदस्य 100 दिन का रोजगार अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराया जाता है.
योजना के अंतर्गत जो लोग पंजीकरण कराते हैं, उन्हें आधार की प्रति देनी होगी या उन्हें 31 मार्च 2017 तक पंजीकरण प्रक्रिया से गुजरना होगा.
जबतक संबंधित व्यक्ति के पास आधार नहीं आ जाता तबतक राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, तस्वीर के साथ किसान पासबुक, मनरेगा के तहत जारी रोजगार कार्ड तथा राजपत्रित या तहसीलदार द्वारा जारी प्रमाणपत्र पहचान के रूप में स्वीकार होगा. जिन लोगों ने आधार हेतु आवेदन किया है, वे पंजीकरण का परचा या आवेदन की प्रति संबंधित अधिकारियों को दे सकते हैं.
केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर और कुछ अन्य राज्यों हेतु आधार का पंजीकरण को अनिवार्य किए जाने के लिए जरूरी आदेश जारी कर रहा है.
केंद्र सरकार ने इसके लिए आधार कानून 2016 की धारा सात का उपयोग किया है. इस धारा के अंतर्गत यह अनिवार्य है कि जहां सरकार भारत के संचित निधि से सब्सिडी, लाभ या सेवा देती है, वहां संबंधित व्यक्ति से सत्यापन या आधार संख्या होने के बारे में साक्ष्य मांगे जा सकते हैं.
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के बारे में:
यह भारत में लागू एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 25 अगस्त 2005 को विधान द्वारा अधिनियमित किया गया. यह योजना हर वित्तीय वर्ष में किसी भी ग्रामीण परिवार के उन वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराती है. वित्तीय वर्ष 2010-11 में इस योजना के लिए केंद्र सरकार का परिव्यय 40,100 करोड़ रुपए था.
इस अधिनियम को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था.  मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोगों हेतु अर्ध-कौशलपूर्ण या बिना कौशलपूर्ण कार्य, चाहे वे गरीबी रेखा से नीचे हों या ना हों. इसे शुरू में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 को इसका पुनः नामकरण किया गया.
यह अधिनियम, राज्य सरकारों को 'मनरेगा योजनाओं' को लागू करने के निर्देश देता है.
मनरेगा के अंतर्गत केन्द्र सरकार मजदूरी की लागत, माल की लागत का 3/4 और प्रशासनिक लागत का कुछ प्रतिशत वहन करती है. राज्य सरकारें बेरोजगारी भत्ता, माल की लागत का 1/4 और राज्य परिषद की प्रशासनिक लागत को वहन करती है.
प्रति परिवार 100 दिनों का रोजगार सक्षम और इच्छुक श्रमिकों को हर वित्तीय वर्ष में प्रदान किया जाना चाहिए.

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