वित्त मंत्री के अनुसार यह जानकारी उन लोगों पर नजर रखने के काम आएगी जो शराब के आदी हैं. सरकार के अनुसार सूची में दर्ज लोगों की शराब पीने की आदत छुड़ाने हेतु प्रक्रिया आरम्भ की जाएगी.
मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने अपने फैसले के समर्थन में बिहार और गुजरात में शराब बंदी के बाद क्राइम रेट पर शोध भी आरम्भ कर दिया है.
नशे की हालत में ड्राइविंग करने पर लाइसेंस रद्द किया जाएगा-
नशे की हालत में ड्राइविंग करने पर लाइसेंस रद्द किया जाएगा-
- मध्य प्रदेश राज्य सरकार के जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा के अनुसार प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में नर्मदा नदी के किनारे से 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाली 12 जनपदों की 58 देशी विदेशी शराब की दुकानों को अगले वित्त वर्ष से बंद करने का निर्णय लिया गया.
- सरकार के इस फैसले के पीछे मध्यप्रदेश सरकार की जीवनरेखा मानी जाने वाली नर्मदा को साफ व अविरल रखने का उद्देश्य भी माना जा रहा है.
- प्रदेश सरकार द्वारा पूर्ण शराबबंदी की दिशा में धीरे धीरे आगे बढ़ेगी.
- प्रदेश में इस वर्ष मदिरा की कोई भी नई दुकान न खोले जाने का निर्णय प्रदेश सरकार ने लिया है.
- नई आबकारी नीति के तहत नशा करके ड्राइविंग करने पर प्रथम बार 6 माह तथा दूसरी बार 2 वर्ष हेतु ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने का प्रावधान भी किया गया है.
- तीसरी बार नशे की हालत में ड्राइविंग करते पाए जाने पर ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने हेतु परिवहन विभाग को अवगत कराया जाएगा.
- मध्य प्रदेश शीघ्र ही शराबबंदी को लागू करने वाला देश का तीसरा राज्य भी हो सकता है.
- मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पिछले कुछ समय से प्रदेश भर में शराब के मुद्दे को लेकर रैलियां आयोजित कर रहे हैं.
- मुख्यमंत्री के इस अभियान को जनसभा में मौजूद महिलाओं का जोरदार समर्थन मिल रहा है.
पृष्ठभूमि-
बिहार और गुजरात के बाद मध्यप्रदेश में शराबबंदी कानून लागू करना आरम्भ कर दिया गया है. प्रदेश में यह अभियान विनोबा भावे की जयंती 11 सितंबर 2016 से आरम्भ किया गया.
बिहार और गुजरात के बाद मध्यप्रदेश में शराबबंदी कानून लागू करना आरम्भ कर दिया गया है. प्रदेश में यह अभियान विनोबा भावे की जयंती 11 सितंबर 2016 से आरम्भ किया गया.
इस अभियान की अगुआई नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर, गांधी शांति प्रतिष्ठान के कुमार प्रशांत और पूर्व विधायक व किसान संघर्ष समिति के संयोजक डॉ. सुनील ने की.
शराबबंदी आंदोलन हेतु 1 जुलाई 2016 को दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान में देशभर के तमाम गांधीवादी संगठनों की बैठक भी आयोजित की गयी.
शराबबंदी आंदोलन हेतु 1 जुलाई 2016 को दिल्ली में गांधी शांति प्रतिष्ठान में देशभर के तमाम गांधीवादी संगठनों की बैठक भी आयोजित की गयी.
31 जुलाई 2016 को बड़वानी में राजघाट पर शराबबंदी अभियान हेतु नेशनल एलायंस फॉर प्यूपिल्स मूवमेंट (एनएपीएम) के बैनरतले कई राज्यों के एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ राज्यों में शराबबंदी कानून लागू कराने हेतु आंदोलन की भूमिका तैयार की.
आबकारी से राज्य सरकार की आय-
आबकारी से राज्य सरकार की आय-
- राज्य सरकार को शराब पर आबकारी कर के माध्यम से 7300 करोड़ प्रतिवर्ष आय प्राप्त होती है.
- वित्तीय वर्ष 2015-16 में प्रदेश सरकार को शराब से 7926.29 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ.
- मध्य प्रदेश में अंग्रेजी शराब की बॉटलिंग 21 कंपनियां करती हैं.
- मध्य प्रदेश में विदेशी ब्रांड की अंग्रेजी शराब की बॉटलिंग भी 21 कंपनियां करती हैं.
- इनका सकल उत्पादन 800 लाख लीटर प्रति वर्ष है.
- प्रदेश मे 8 कंपनियां देशी शराब की बॉटलिंग का काम करती हैं.
- मध्य प्रदेश में 8 कंपनियां बीयर का उत्पादन करती हैं. इन 8 बीयर कंपनियों में 1244 लाख लीटर बीयर बनती है.
- इन बीयर कम्पनियों में में खरगोन की अग्रवाल डिस्टलरीज, एसोसिएट एल्कोहल एंड ब्रेवरीज लिमिटेड, छतरपुर नौगांव में जेगपिन ब्रेवरीज, ग्वालियर रायरू में ग्वालियर एल्कोहल प्रालि, धार में ग्रेट गैलन, ओसिस डिस्टलरीज, रायसेन में सोम डिस्टलरीज, राजगढ़ पीलूखेड़ी में विंध्याचल डिस्टलरीज शामिल हैं.
प्रदेश में शराब की खपत में निरंतर बढ़त-
प्रदेश में शराब की खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है. प्रतिदिन औसतन 7 लाख लीटर शराब की खपत है.
पिछले पांच वर्षों में आबकारी कर के माध्यम से सरकार की कमाई दो गुनी हो चुकी है. शराब की खपत में भी ढ़ाई गुना वृद्धि हुई है.
राज्य में शराब की वार्षिक खपत-
देशी मदिरा– 1103 लाख लीटर वार्षिक
विदेशी शराब – 453 लाख लीटर वार्षिक
बीयर – 986 लाख लीटर वार्षिक
पिछले पांच वर्ष में राज्य सरकार का राजस्व-
वर्ष – राजस्व
2011-12 – 4314.93 रूपए
2012-13 – 5083.19 रूपए
2013-14 – 5908.05 रूपए
2014-15 – 6697.42 रूपए
2015-16 – 7926.29 रूपए
(नोट – सरकार की आय करोड रुपए में)
मध्यप्रदेश के सर्वाधिक शराब की खपत वाले टॉप 10 जनपद-
जिला – खपत (लाख लीटर)
इंदौर – 78.18 लीटर
जबलपुर – 46.07 लीटर
उज्जैन – 43.21 लीटर
भोपाल – 40.07 लीटर
सागर – 38.79 लीटर
ग्वालियर – 36.07 लीटर
धार – 27.23 लीटर
छिंदवाड़ा – 21.63 लीटर
खरगौन – 19.55 लीटर
रीवा – 18.60 लीटर
प्रदेश में शराब की खपत में निरंतर वृद्धि हो रही है. प्रतिदिन औसतन 7 लाख लीटर शराब की खपत है.
पिछले पांच वर्षों में आबकारी कर के माध्यम से सरकार की कमाई दो गुनी हो चुकी है. शराब की खपत में भी ढ़ाई गुना वृद्धि हुई है.
राज्य में शराब की वार्षिक खपत-
देशी मदिरा– 1103 लाख लीटर वार्षिक
विदेशी शराब – 453 लाख लीटर वार्षिक
बीयर – 986 लाख लीटर वार्षिक
पिछले पांच वर्ष में राज्य सरकार का राजस्व-
वर्ष – राजस्व
2011-12 – 4314.93 रूपए
2012-13 – 5083.19 रूपए
2013-14 – 5908.05 रूपए
2014-15 – 6697.42 रूपए
2015-16 – 7926.29 रूपए
(नोट – सरकार की आय करोड रुपए में)
मध्यप्रदेश के सर्वाधिक शराब की खपत वाले टॉप 10 जनपद-
जिला – खपत (लाख लीटर)
इंदौर – 78.18 लीटर
जबलपुर – 46.07 लीटर
उज्जैन – 43.21 लीटर
भोपाल – 40.07 लीटर
सागर – 38.79 लीटर
ग्वालियर – 36.07 लीटर
धार – 27.23 लीटर
छिंदवाड़ा – 21.63 लीटर
खरगौन – 19.55 लीटर
रीवा – 18.60 लीटर
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