ओला, उबर व अन्य ऐप आधारित कैब के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि 22 अगस्त के बाद ऐप आधारित टैक्सियां दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित किराए से अधिक किराया नहीं वसूल पाएंगी.
कोर्ट ने कंपनियों को 22 अगस्त से पहले अपने ऐप दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं.
सुरक्षा और पर्यावरण के मद्देनजर हाई कोर्ट के माडल पॉलिसी लाने के निर्देश-
कोर्ट ने कंपनियों को 22 अगस्त से पहले अपने ऐप दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं.
सुरक्षा और पर्यावरण के मद्देनजर हाई कोर्ट के माडल पॉलिसी लाने के निर्देश-
- हाई कोर्ट ने सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय को तीन माह में देशभर के लिए मॉडल स्कीम लाने के आदेश दिए.
- कोर्ट ने आईटी विभाग के सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सचिव स्तर के अधिकार, दिल्ली पुलिस के उपायुक्त को केंद्र के पैनल में शामिल करने के निर्देश दिए. हाईकोर्ट ने कहा कि पैनल सुरक्षा और पर्यावरण के मद्देनजर माडल पॉलिसी लाए.
- दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुसार एक अच्छे और आदर्श कानून की आवश्यकता है.
- न्यायमूर्ति मनमोहन इस बारे में एक समिति गठित करने के लिए कहा है.
- समिति में दिल्ली सरकार और केंद्र के दो-दो अधिकारियों के साथ एक विशेषज्ञ शामिल होंगे.
- यह समिति सभी सम्बद्ध पक्षों के सुझाव लेकर आदर्श कानून तैयार करेगी.
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र और दिल्ली सरकार से समिति के लिए में अधिकारियों के नाम देने को कहा और मामले में आगे की सुनवाई के लिए कल की तारीख तय की.
- न्यायालय ने कहा कि ऐप संचालित टैक्सी कम्पनियों को उस समय तक दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित किराया नियमों का पालन करना होगा, जब तक समिति इस विषय में आदर्श कानून पेश नहीं कर देती.
- न्यायालय ने केन्द्र द्वारा नियुक्त समिति को दिल्ली सरकार की नीति के प्रारूप की समीक्षा करने और तीन महीने में अपनी रिर्पोट देने को कहा है.
दिल्ली सरकार ने वर्ष 2013 में तय किए थे रेट-
- हाईकोर्ट ने कहा कि पैनल दिल्ली सरकार के नए ड्रॉफ्ट नोटिफिकेशन पर भी विचार करे.
- वर्ष 2013 में दिल्ली सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर इकॉनामी रेडियो टैक्सी के लिए 12.50 रुपये प्रति किलोमीटर, नान एसी काली-पीली टैक्सी के लिए 14 रुपये, एसी के लिए 16 रुपये और नोटिफाइड रेडियो टैक्सी के लिए 23 रुपये प्रति किलोमीटर का रेट तय किया था.
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