हरियाणा सरकार ने राष्ट्रीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल को अर्जुन अवार्ड प्रदान करने की घोषणा की-(24-AUG-2016) C.A

| Wednesday, August 24, 2016
हरियाणा प्रदेश के जनपद कुरुक्षेत्र के शाहाबाद कस्बे की खिलाडी रानी रामपाल को अर्जुन अवार्ड प्रदान करने की घोषणा सरकार ने की. वह पंजाब सरकार में पटियाला अकादमी में बतौर कोच की नौकरी करती है.  पहले वह मात्र 13 हजार में रेलवे में नौकरी करती थी.

रानी रामपाल के माता-पिता बेहद साधारण परिवार से हैं.

रानी रामपाल के बारे में-  
  • 1980 के बाद पहली बार रानी रामपाल ने महिला हॉकी टीम को ओलंपिक तक पुहंचाया.
  • भारतीय महिला हॉकी टीम में रानी फॉरवर्ड खेलती है.
  • मैदान पर रानी की स्पीड, हॉकी स्टिक से उनका कमाल और बॉल को अपने काबू में रखने की उनकी तकनीक के अधिकतर विशेज्ञ कायल हैं.
  • रानी ने छह साल की उम्र में शाहबाद के मरकंडा हॉकी एकेडमी में हॉकी सीखना शुरू किया.
  • इस अकादमी से अब तक 40 राष्ट्रीय स्तर के हॉकी खिलाड़ी निकल चुके हैं.
  • सात साल की उम्र में रानी ने हॉकी एकेडमी ज्वाईन की.
  • 2009 में रानी जूनियर टीम में खेले बिना सीनियर राष्ट्रीय टीम के लिए चुनी गई.
  • मात्र 15 साल की उम्र में वह अंतरराष्ट्रीय हॉकी फेडरेशन के वल्र्ड- 11 का हिस्सा बनी.
  • 2009 में हुए हॉकी चैंपियन्स चैलेंज-2 में चार गोल करके भारत को स्वर्ण पदक दिलवाने में रानी की अहम भूमिका रही है.
  • रानी को उस टूर्नामेंट में टॉप गोल स्कोरर और यंग प्लेयर ऑफ दी टूर्नामेंट का भी खिताब मिला.
  • 2010 में कनाडा में हुए वल्र्ड कप में हिस्सा लेने वाली वह सबसे कम उम्र की खिलाड़ी थी.
  • उस समय रानी की उम्र 15 साल थी और इस टूर्नामेंट में रानी ने 7 गोल किए थे.
  • भारत इस टूर्नामेंट में नौंवे स्थान पर रहा था.
  • वल्र्ड कप में 1978 के बाद यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था.
  • रानी को 2014 में फिक्की कमबैक ऑफ दी ईयर का खिताब भी मिला.
अर्जुन पुरस्कार के बारे में-
  • अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ियों को दिये जाने वाला एक पुरस्कार है जो भारत सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र मे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है.
  • इस पुरस्कार का प्रारम्भ 1961 में हुआ.
  • पिछले तीन वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाले और नेतृत्व, खेल भावना और अनुशासन जैसे गुणों का प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को दिया जाता है.
  • पुरस्कार स्वरूप पाँच लाख रुपये की राशि, अर्जुन की कांस्य प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.
  • इन पुरस्कारों का उद्देश्य खिलाड़ियों को पुरस्कृत कर उन्हें खेलकूद के प्रति और उत्साहित करना है.
  • प्रति वर्ष अधिकतम 15 अर्जुन पुरस्कार दिये जाते हैं.
  • 1961 में 19 खिलाड़ियों को, 1962 में 9 खिलाड़ियों को और उसके बाद तीन वर्षों तक 7-7 खिलाड़ियों को अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

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