उच्च न्यायालय ने कहा कि संविधान में महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का दर्जा दिया गया है. यदि पुरुषों को इसके अंदर जाने की अनुमति है तो महिलाओं को भी अंदर जाने दिया जाना चाहिए. बेंच ने कहा कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (जीवन का अधिकार), 15 (भेदभाव का निषेध) और अनुच्छेद 21 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन है.
हाजी अली दरगाह ट्रस्ट द्वारा मार्च से जून 2012 के मध्य महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था. इससे पहले महिलाएं सिर्फ़ मज़ार के बाहर तक ही जा पाती थीं, उन्हें अंदर तक जाने की अनुमति नहीं थी.
प्रवेश पर रोक के खिलाफ भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने अपील दायर की थी. महिलाओं को प्रवेश देने की मांग को लेकर भूमाता ब्रिग्रेड ने भी प्रदर्शन किया था. भूमाता ब्रिग्रेड मंदिरों और मस्जिदों में महिलाओं को प्रवेश देने का समर्थन कर रही है.
उच्च न्यायालय का यह फ़ैसला तत्काल प्रभाव से लागू नहीं होगा. हाजी अली ट्रस्ट ने कहा कि वह इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.
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