भारत और अमेरिका ने 29 अगस्त 2016 को रक्षा क्षेत्र में साजो-सामान के आदान-प्रदान संबंधी समझौते पर हस्तााक्षर किये. इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में साजो-सामान संबंधी निकट साझेदारी विकसित करना है.
इससे दोनों देशों की सेनाएं मरम्मत एवं आपूर्ति के संदर्भ में एक दूसरे की संपदाओं और सैन्य अड्डों का उपयोग कर सकेंगी.
साजो-सामान संबंधी आदान-प्रदान समझौते (लेमोआ) पर भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने हस्ताक्षर किये. यह समझौता व्यवहारिक संपर्क और आदान-प्रदान के लिए अवसर प्रदान करेगा.
इससे दोनों देशों की सेनाएं मरम्मत एवं आपूर्ति के संदर्भ में एक दूसरे की संपदाओं और सैन्य अड्डों का उपयोग कर सकेंगी.
साजो-सामान संबंधी आदान-प्रदान समझौते (लेमोआ) पर भारतीय रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने हस्ताक्षर किये. यह समझौता व्यवहारिक संपर्क और आदान-प्रदान के लिए अवसर प्रदान करेगा.
समझौते की विशेषताएं
• यह समझौता दोनों देशों की सेना के बीच साजो-सामान संबंधी सहयोग, आपूर्ति एवं सेवा की व्यवस्था प्रदान करेगा.
• यह व्यवस्था रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार सहयोग में नवोन्मेष और अत्याधुनिक अवसर प्रदान करेगा.
• अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी को साझा करने को निकटतम साझेदारों के स्तर तक विस्तार देने पर सहमति जताई है.
• समझौते में कहा गया कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध उनके 'साझा मूल्यों एवं हितों' पर आधारित हैं.
• यह समझौता दोनों देशों की सेना के बीच साजो-सामान संबंधी सहयोग, आपूर्ति एवं सेवा की व्यवस्था प्रदान करेगा.
• यह व्यवस्था रक्षा प्रौद्योगिकी एवं व्यापार सहयोग में नवोन्मेष और अत्याधुनिक अवसर प्रदान करेगा.
• अमेरिका ने भारत के साथ रक्षा व्यापार और प्रौद्योगिकी को साझा करने को निकटतम साझेदारों के स्तर तक विस्तार देने पर सहमति जताई है.
• समझौते में कहा गया कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध उनके 'साझा मूल्यों एवं हितों' पर आधारित हैं.
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