इंटरनेट स्वतंत्रता भारत में आंशिक रूप से मुफ्त हैः एफओएनटी 2015 रिपोर्ट-(02-NOV-2015) C.A

| Monday, November 2, 2015
इंटरनेट स्वतंत्रता भारत में आंशिक रूप से मुफ्त है. इसका पता फ्रीडम ऑन द नेट (एफओएनटी) रिपोर्ट 2015 से चला जिसे फ्रीडम हाउस ने 28 अक्टूबर 2015 को जारी किया.
रिपोर्ट के अनुसार भारत आंशिक रुप से मुक्त स्थिति को हासिल करने के लिए 0–100 (सर्वश्रेष्ठ– सबसे खराब) पैमाने पर कुल 40 अंकों के साथ मालावी और जाम्बिया जैसे अफ्रीकी देशों की पंक्ति में खड़ा है.
एफओएनटी रिपोर्ट 2014 से तुलना करने पर यह दो अंक गंवाता नजर आता है, क्योंकि इंटरनेट स्वतंत्रता पर संस्थागत प्रतिबंध की वजह से सामाजिक तनाव बढ़ रहा है.
तीन मुख्य क्षेत्रों– उपयोग संबंधी बाधाएं, सामग्री सीमा और उपयोगकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन– में भारत का प्रदर्शन इस प्रकार है–
उपयोग संबंधी बाधाएं– 0– 25 के पैमाने पर स्कोर 12 था, इसमें 25 का अर्थ है सबसे खराब, भारत के  सिर्फ 1.29 अरब लोग ही इंटरनेट से जुड़े हैं. 
हालांकि मोबाइल की पहुंच 77 फीसदी हो गई है, जो पहुंच में सुधार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बुनियादी ढांचा अभी भी पहुंच के लिए महत्वपूर्ण बाधा बना हुआ है.
कई प्रकार के सरकारी और गैरसरकारी पहल जैसे डिजिटल इंडिया की शुरुआत 2015 में की गई ताकि खामियों को दूर किया जा सके.
इस सेग्मेंट में भारत का भविष्य उज्जवल है. इस बात का पता ग्लोबल इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रिपोर्ट 2015 से चलता है, जिसने भारत को 143 देशों में पहला स्थान दिया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रति मिनट सेलुलर और फिक्स्ड ब्रॉडबैंड टैरिफ दुनिया में सबसे कम है.
सामग्री की सीमाः 0– 35 के पैमाने पर स्कोर 10 था. 35 सबसे खराब के लिए है.
साल 2014 में ओवर बोर्ड ब्लॉकिंग और कॉपीराइट प्रतिबंधों के विभिन्न मामलों के साथ सामग्री पर प्रतिबंध लगाने के मामले में इजाफा हुआ. हालांकि, आईटी अधिनियम की धारा 66 ए को खत्म करना, जिसकी वजह से ऑनलाइन भाषण पर कई गिरफ्तारियां हुईं, सुप्रीम कोर्ट का स्वागत योग्य कदम रहा.
उपयोगकर्ताओं के अधिकारों का हननः 0– 40 के पैमाने पर स्कोर 18 था. 40 सबसे खराब के लिए था.
ऑनलाइन सामग्री के संबंध में आपराधिक शिकायतों की दर्ज की गई संख्या काफी अधिक थी. इसके अलावा, ऑनलाइन गतिविधि के परिणामस्वरुप महिलाओं को धमकी और उनके खिलाफ हिंसा विशेष रूप से प्रचलित थी और हाल के समय में ऑनलाइन गतिविधियों ने धार्मिक तनाव बढ़ाने का भी काम किया.
रिपोर्ट के बारे में
इस रिपोर्ट को फ्रीडम हाउस ने डच विदेश मंत्रालय, अमेरिका के लोकतंत्र, मानवाधिकार और श्रम ब्यूरो विभाग (डीआरएल), गूगल, फेसबुक, याहू और ट्विटर से मिले अनुदान से तैयार किया गया.
फ्रीडम हाउस अमेरिका की गैर– सरकारी संगठन है.
साल 2015 में अवधि 1 जनवरी से 31 जनवरी 2014 के बीच की है.

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