महिलाओं के खिलाफ हिंसा उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस विश्व में आयोजित-(27-NOV-2015) C.A

| Friday, November 27, 2015
महिलाओं के प्रति की जाने वाली हिंसा के समूल नाश के लिए 25 नवंबर 2015 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में विश्व भर में मनाया गया. इस आयोजन का आशय महिलाओं को हिंसा के प्रति जागरूक करना और महिला समुदाय के लिए काम करने वाले समूहों के बीच इसके समाधान के लिए चर्चा करना है.

महिलाओं के प्रति हिंसा उन्मूलन हेतु अंतर्राष्ट्रीय दिवस का आह्वान संगठन “ऑरेंज द वर्ल्ड: एंड वोइलेंस अगेंस्ट वीमेन & गर्ल्स” (Orange the world: End violence against women and girls) ने विश्व भर में महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा समाप्ति के लिए किया. 

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अभियान यूनाइट टू एंड वोइलेंस अगेंस्ट वीमेन के तहत किया जा रहा है.

इसी क्रम में  लिंग आधारित हिंसा अभियान के खिलाफ “16 डेज एक्टिविज्म अगेंस्ट बेस्ड वोइलेंस केम्पेन” 25 नवंबर 2015 से 10 दिसंबर 2015 तक (मानव अधिकार दिवस) के रूप में आयोजित किया जाएगा.

16 डेज एक्टिविज्म केम्पेन” के तहत महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा समाप्ति के लिए सभी सरकारें,  सरकारी कर्मचारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सामाजिक संगठनों, सभी देशों के नागरिकों और व्यक्तिय एक साथ आएँगे. 

भारत में महिला अंतर्राष्ट्रीय दिवस का अनुपालन
भारत में महिला अंतर्राष्ट्रीय दिवस का अनुपालन “ग्लोबल ऑरेंज द वर्ल्ड” से प्रेरित  प्रतिष्ठित इंडिया गेट पर नारंगी रोशनी का प्रकाश करके किया गया. कार्यक्रम यूएन वीमेन इंडियन संस्था के साथ यूएनएफपीए इंडिया, यूएनडीपी और यूएन इंडिया ने यूनाइटेड नेशंस ग्लोबल ने भागीदार के रूप में किया. “16 डेज एक्टिविज्म केम्पेन” को 10 दिसंबर तक यूएनएस ह्यूमनराइट डे के तहत सुचारू रखने के लिए रूप रेखा निश्चित की गयी. 

बीजिंग +20
वर्ष 2015, बीजिंग घोषणा के बीस वर्ष पूरे होने पर बीजिंग की वर्ष गांठ और उस घोषणा के क्रियान्वयन के लिए नामित किया गया है. जो लिंग आधारित हिंसा अभियान के खिलाफ क्रियान्वयन व कार्रवाई के लिए एक मंच प्रदान करेगा. सितंबर1995 में आयोजित महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में इस पर संज्ञान लिया गया था.
इस अंतर्राष्ट्रीय दिवस की आवश्यकता क्यों?
• महिलाओं के प्रति हिंसा मानवाधिकारों का उल्लंघन है
• महिलाओं के प्रति हिंसा कानूनन और व्यवहारिक रूप से भी महिलाओं के प्रति भेदभाव और पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानताओं का परिणाम है.
• महिलाओं प्रति हिंसा कई क्षेत्रों में प्रगति, गरीबी उन्मूलन, एचआईवी/ एड्स का मुकाबला करने और शांति एवं सुरक्षा आदि सहित अन्य तथ्यों पर प्रभाव डालती है, और बाधा उत्पन्न करती है.
• महिलाओं और लड़कियों के प्रति हिंसा अपरिहार्य नहीं है. इसकी रोकथाम संभव और आवश्यक है.
• महिलाओं के प्रति हिंसा एक वैश्विक महामारी के रूप में जारी है.

पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर 1999 को 54/134 संकल्प के माध्यम से महिलाओं के प्रति हिंसा के उन्मूलन हेतु 25 नवंबर 2015 को  अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में नामित किया था. 

महिला कार्यकर्ताओं ने इस तिथि को 1981 से ही महिलाओं के प्रति हिंसा के विरोध स्वरुप मनाना जारी रखा. इस तिथि को 1960 में एक डोमिनिकन शासक राफेल ट्रूजिलो (1930-1961) के आदेश पर डोमिनिकन गणराज्य में उसके राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा तीन बहनों की क्रूर हत्या के कारण नामित किया गया. 
20 दिसंबर 1993 को महासभा ने संकल्प 48/104 द्वारा, महिलाओं के खिलाफ हिंसा के उन्मूलन पर घोषणा को अपनाया.

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