भारत सरकार ने आयकर अधिनियम, 1961 के प्रावधानों को सरल बनाने के दृष्टिकोण से एक समिति का गठन किया. इसमें शामिल व्यक्तियों के नाम इस प्रकार हैं:
- न्यायमूर्ति आर.वी. ईश्वर, (सेवानिवृत्त) पूर्व न्यायाधीश, दिल्ली हाई कोर्ट और पूर्व अध्यक्ष आईटीएटी –अध्यक्ष
- वी.के. भसीन, पूर्व विधि सचिव - सदस्य
- विनोद जैन, चार्टर्ड एकाउंटेंट - सदस्य
- राजीव मैमानी, सलाहकार - सदस्य
- रवि गुप्ता, वरिष्ठ अधिवक्ता - सदस्य
- मुकेश पटेल, चार्टर्ड एकाउंटेंट - सदस्य
- अजय बहल, सलाहकार - सदस्य
- प्रदीप पी शाह, निवेश सलाहकार - सदस्य
- अरविंद मोदी, आईआरएस (आईटी: 81,009) - सदस्य
- डॉ विनय कुमार सिंह, आईआरएस (आईटी: 95,006) - सदस्य
इस समिति के विचारणीय विषय (टीओआर) इस प्रकार होंगे:
- इस अधिनियम की उन व्याख्याओं और वाक्यांशों का अध्ययन करना और पहचान करना, जिनकी विभिन्न व्याख्याओं के कारण मुकदमेबाजी को बढ़ावा मिल रहा है.
- उन प्रावधानों का अध्ययन करना और पहचान करना, जो कारोबार करने के काम को आसान बनाने पर प्रभाव डाल रहे हैं.
- वर्तमान विधि शास्त्र के आलोक में सरलीकरण करने के लिए इस अधिनियम का अध्ययन करना और प्रावधानों के क्षेत्रों की पहचान करना.
- कर आधार और राजस्व वसूली पर कोई विशेष प्रभाव डाले बिना वर्तमान प्रावधानों और क्षेत्रों की पहचान करके कर नियमों में पूर्वानुमान और निश्चितता लाने के लिए विकल्प और संशोधनों का सुझाव देना.
समिति अपने कार्यों को विनियमित करने के लिए स्वयं अपनी प्रक्रियाएं निर्धारित करेगी. समिति उप-समूह में भी काम कर सकती है और उप-समूहों द्वारा तैयार किये गये मसौदों को फिर पूरी समिति मंजूरी देगी. समिति अपनी मसौदा सिफारिशों को सार्वजनिक क्षेत्र में रखेगी। हितधारकों के परामर्श के बाद समिति अपनी सिफारिशों को अंतिम रूप देगी. समिति अपनी सिफारिशें समूहों में दे सकती हैं. पहले समूह में जितनी ज्यादा से ज्यादा संभावित सिफारिशें संभव हो, उन्हें 31 जनवरी 2016 तक प्रस्तुत किया जाएगा. समिति का कार्यकाल उसके गठन की तिथि से एक वर्ष की अवधि के लिए होगा.
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