समीर पांडा के नेतृत्व वाली भारतीय टीम ने विस्फोट रोकथाम एवं पंचर उपचारात्मक प्रौद्योगिकी के लिए नासा का पुरस्कार जीता-(22-NOV-2015) C.A

| Sunday, November 22, 2015
ओडिशा के समीर पांडा के नेतृत्व में भारतीय वैज्ञानिक के एक दल ने 6 नवम्बर 2015 को विस्फोट  रोकथाम एवं पंचर उपचारात्मक (BPPC) तकनीक नामक एक नवीन प्रौद्योगिकी के लिए नासा का पुरस्कार जीता.उदित बोंडिया के.एन. पांडा और स्मृतिपर्णा सत्पथी टीम के अन्य सदस्य हैं.
भारतीय टीम ने यह पुरस्कार नासा और ऑटोमोबाइल इंजीनियर्स, इंटरनेशनल सोसायटी द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता क्रिएट द फ्यूचर डिजाइन कांटेस्ट 2015 में जीता.
उन्हें यह पुरस्कार बीपीपीसी  प्रौद्योगिकी पर आधारित और ऑटोमोटिव डिवीजन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विघटनकारी और सफलता नवाचार पर काम कर रहे एक फर्म ताईचीजूनो द्वारा विकसित हल्के फ्लैट टायर के निर्माण  के लिए प्रदान किया गया.
यह टायर और साइड वाल  में पंचर की देखभाल करने के लिए कक्ष के अंदर सीलेंट के साथ एक बहु संभाग ट्यूबलेस टायर है.
प्रौद्योगिकी का  महत्व
  • इस प्रौद्योगिकी से टायर में विस्फोट की संभावनाओं कम हो जाती है तथा यह पंक्चर और गतिशील पहिया के संतुलन का ख्याल रखता है.
  • इससे ईंधन दक्षता और जीवन के विकास में मदद मिलती है तथा इसे मौजूदा प्रौद्योगिकी के सहयोग से  निर्मित किया जा सकता है.
  • इस प्रौद्योगिकी का उपयोग कर प्रतिवर्ष 10 लाख वाहनों के जरिये 200000 टन कार्बनडाईऑक्साइड के उत्सर्जन को कम किया जा सकता है.
  • इससे 100 मिलियन गैलन पेट्रोल की खपत में भी कमी की जा सकती है.
  • पहिया संतुलन में इस्तेमाल होने वाले सीसे जो कैंसर के प्रमुख कारण हैं, में भी इस तकनीक का इस्तेमाल कर बहुत हद तक कमी की जा सकती है.
  • वर्ष 2014 में टायर फटने से भारत में 3371 लोगों की मृत्यु हो गयी तथा 9081 लोग घायल हुए.
  • इसी भांति अमेरिका में प्रतिवर्ष 33000 लोग टायर फटने से घायल होते हैं.
  • वैश्विक स्तर पर अनुमानतः लगभग 1.25 मिलियन लोग घायल और हताहत मात्र टायर फटने के कारण होते हैं.

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