सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षण संस्थाओं को आरक्षण से दूर रखने का 28 अक्टूबर 2015 को निर्देश दिया. सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रहित में उच्च शिक्षण संस्थाओं से आरक्षण व्यवस्था को हटाना जरुरी बताया.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश दीपक मिश्रा और पीसी पंत की पीठ ने कहा कि, “राष्ट्रहित में यह आवश्यक हो गया है कि उच्च शिक्षण संस्थाओं को सभी तरह के आरक्षण से दूर रखा जाए.” सर्वोच्च न्यायलय ने केन्द्र सरकार से यह भी कहा कि वह इस संबंध में 'सकारात्मक' कदम उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेज में प्रवेश को लेकर योग्यता मानकों को चुनौती देने के लिए दायर याचिकाओं पर फैसले के दौरान की. इन याचिकाओं में कहा गया है कि इन तीन राज्यों में इस कोर्स की परीक्षा में बैठने के लिए वहां का निवासी होना चाहिए.
उपरोक्त के साथ ही सुप्रीम कोर्ट कहा कि देश को आजाद हुए 68 साल हो गए, लेकिन वंचितों के लिए जो सुविधा उपलब्धठ कराई गई थी, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है. शीर्ष कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह इस संबंध में उचित कदम उठाए, क्योंएकि राष्ट्रआहित में ऐसा करना बेहद जरूरी हो गया है. पीठ ने कहा कि सुपर स्पेशयलिटी कोर्सेस में चयन का प्रारंभिक मापदंड मैरिट बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के कई बार स्मरण दिलाने के बाद भी जमीनी हालत वैसे ही हैं और मैरिट पर आरक्षण का आधिपत्य बरकरार है.
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