नार्वे की विज्ञान एवं
साहित्य अकादमी (The Norwegian Academy of Science and Letters) ने 25 मार्च 2015 को वर्ष 2015
के एबेल पुरस्कार (Able Prize) की घोषणा की.
प्रिंसटन विश्वविद्यालय के जॉन एफ नैश जूनिअर (John
F. Nash Jr.) और मैसाचुसेट्स प्रौद्योगिकी संस्थान के लुइस
निरेनबर्ग (Louis Nireebarg) को प्रतिष्ठित 'एबेल' पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
यह पुरस्कार लुइस निरेनबर्ग तथा प्रिंसटन विश्वविद्यालय के जॉन नैश
को सम्मिलित रुप से प्रदान किया गया. पुरस्कार के रूप में इन गणितज्ञों को 60 लाख नार्वेजियन क्रोनर राशि (लगभग 10 लाख अमेरिकी
डॉलर) प्रदान की जायेगी. ये पुरस्कार 19 मई 2015 को ओस्लो (Oslo) में आयोजित एक समारोह में नार्वे के
राजा हेराल्ड (Harald) द्वारा गणितज्ञों को प्रदान किए
जायेंगे.
एबेल
पुरस्कार के बारे में
विदित है कि एबेल पुरस्कार नार्वे के प्रसिद्ध गणितज्ञ नील्सम हैनरिक
एबेल की स्मृति में प्रदान किया जाता है. उन्हें ‘एलेप्टिक
फ़ंक्शन’ नामक अपने गणितीय सिद्धान्त के लिए जाना जाता है.
इसके अलावा उन्होंने 'अनन्त श्रेणी' के
सिद्धान्त के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था. गणित का नोबेल माना जाने
वाला यह पुरस्कार गणित के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों के लिए प्रदान किया जाता
है.
इस पुरस्कार की स्थापना वर्ष 2001 में
की गई. पहला एबेल पुरस्कार फ्रांस के गणितज्ञ जीन-पियरे सेर्रे (Jean
Pierre Serre) को वर्ष 2003 में प्रदान किया
गया. रूसी गणितज्ञ याकोव सिनाई को गणित के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए वर्ष 2014
के एबेल पुरस्कार सम्मानित किया गया. वर्ष 2007 में भारतीय मूल के अमेरिकी गणितज्ञ एस. आर. श्रीनिवास वर्धन को इस
पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है.
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