हरियाणा विधान सभा ने 16 मार्च 2015 को गौवंश संरक्षण और गौसंवर्धन विधेयक,
2015 पारित किया. इस विधेयक के तहत राज्य में गौ हत्या, मांस की बिक्री पर कठोर सजा का प्रावधान हैं.
इसके अलावा राज्य में गौ और गौवंश संरक्षण के अलावा इसके संवर्धन पर
ध्यान दिया जाएगा. साथ ही इस संबंध में देसी गायों के विकास, लावारिश गौवंश को रखने के लिए गौशालाओं का निर्माण भी किया जाएगा.
विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधान:
• इस विधेयक के तहत राज्य में गोहत्या और गौ मांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान हैं. गौ हत्या करने के आरोपी को अधिकतम 10 वर्ष की सजा के साथ 1 लाख रुपए का जुर्माने का भी प्रावधान है.
• गाय के वध के आरोपी को कम से कम तीन वर्ष की कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है जिसे बढ़ाकर सात वर्ष किया जा सकता है. जुर्माने की राशि भी 30 हजार रुपए से बढ़ाकर 70 हजार रुपए की जा सकती है.
• राज्य के बाहर गाय के निर्यात के लिए लोगों को परमिट के लिए आवेदन करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि गायों का निर्यात उनके वध के लिए नहीं किया जा रहा है. जिस राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध नहीं है वहां के लिए गायों के निर्यात पर कोई परमिट जारी नहीं किया जाएगा.
• यह विधेयक पुलिस अधिकारी (उप-निरीक्षक) या सरकार की ओर से अधिकृत किसी भी व्यक्ति को गायों के निर्यात के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले किसी भी वाहन के प्रवेश को रोकने और उसकी तलाशी लेने का अधिकार प्रदान करता है.
• गौ मांस की बिक्री करने पर अधिकतम 5 वर्ष के कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है. जुर्माने का भुगतान न करने के मामले में कारावास में एक वर्ष और रहना होगा.
• सरकार या स्थानीय प्राधिकारी घायल, कमजोर लावारिश गायों की देखभाल के लिए संस्था की स्थापना करेगी.
भारत के संविधान के अनुच्छेद 48
संविधान का अनुच्छेद- 48 कहता है कि देश आधुनिक एवं वैज्ञानिक आधार पर संगठित खेती और पशुपालन के लिए प्रयास करेगा और खासकर नस्लों को संरक्षित और उन्नत करने के लिए कदम उठाएगा. इसके साथ ही यह अनुच्छेद गो-हत्या, बछिया और अन्य दुधारू पशुओं की हत्या पर रोक लगाता है.
गोहत्या पर समितियों और कानून
गोहत्या संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य का विषय (सूची II) है. मई 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राजग सरकार के आने के बाद से भाजपा शासित राज्यों में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध कानून की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.
विधेयक के महत्वपूर्ण प्रावधान:
• इस विधेयक के तहत राज्य में गोहत्या और गौ मांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान हैं. गौ हत्या करने के आरोपी को अधिकतम 10 वर्ष की सजा के साथ 1 लाख रुपए का जुर्माने का भी प्रावधान है.
• गाय के वध के आरोपी को कम से कम तीन वर्ष की कठोर कारावास की सजा का प्रावधान है जिसे बढ़ाकर सात वर्ष किया जा सकता है. जुर्माने की राशि भी 30 हजार रुपए से बढ़ाकर 70 हजार रुपए की जा सकती है.
• राज्य के बाहर गाय के निर्यात के लिए लोगों को परमिट के लिए आवेदन करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि गायों का निर्यात उनके वध के लिए नहीं किया जा रहा है. जिस राज्य में गोहत्या पर प्रतिबंध नहीं है वहां के लिए गायों के निर्यात पर कोई परमिट जारी नहीं किया जाएगा.
• यह विधेयक पुलिस अधिकारी (उप-निरीक्षक) या सरकार की ओर से अधिकृत किसी भी व्यक्ति को गायों के निर्यात के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले किसी भी वाहन के प्रवेश को रोकने और उसकी तलाशी लेने का अधिकार प्रदान करता है.
• गौ मांस की बिक्री करने पर अधिकतम 5 वर्ष के कारावास और 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है. जुर्माने का भुगतान न करने के मामले में कारावास में एक वर्ष और रहना होगा.
• सरकार या स्थानीय प्राधिकारी घायल, कमजोर लावारिश गायों की देखभाल के लिए संस्था की स्थापना करेगी.
भारत के संविधान के अनुच्छेद 48
संविधान का अनुच्छेद- 48 कहता है कि देश आधुनिक एवं वैज्ञानिक आधार पर संगठित खेती और पशुपालन के लिए प्रयास करेगा और खासकर नस्लों को संरक्षित और उन्नत करने के लिए कदम उठाएगा. इसके साथ ही यह अनुच्छेद गो-हत्या, बछिया और अन्य दुधारू पशुओं की हत्या पर रोक लगाता है.
गोहत्या पर समितियों और कानून
गोहत्या संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राज्य का विषय (सूची II) है. मई 2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली राजग सरकार के आने के बाद से भाजपा शासित राज्यों में गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध कानून की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.
इसके अलावा, केंद्र सरकार गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने हेतु एक राष्ट्रीय कानून लाने के
लिए भी विचार कर रही है. यहां तक कि गो-हत्या पर प्रतिबंध के लिए गुजरात सरकार ने
जो कानून लागू कर रखा है, उसे वर्ष 2005 में सर्वोच्च न्यायालय ने वैध करार दिया.
इसके अलावा, वर्ष 1947 में
दातार सिंह समिति और वर्ष 2002 में गोहत्या के मुद्दे पर गौर
करने के लिए न्यायमूर्ति गुमन मल लोढ़ा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आयोग नियुक्त
किया गया.
वे राज्य जहां गोहत्या पर कानून हैं, इस प्रकार हैं:
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, दमन एवं दीव, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, उड़ीसा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल.
वे राज्य जहां गोहत्या पर कानून नहीं हैं, इस प्रकार हैं:
वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और लक्षद्वीप में गोहत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
वे राज्य जहां गोहत्या पर कानून हैं, इस प्रकार हैं:
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, दमन एवं दीव, दिल्ली, गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, उड़ीसा, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल.
वे राज्य जहां गोहत्या पर कानून नहीं हैं, इस प्रकार हैं:
वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश, केरल, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और लक्षद्वीप में गोहत्या पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
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