भारत और मॉरीशस ने द्विपक्षीय संबंधों को प्रोत्साहन देने के लिए पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए-(13-MAR-2015) C.A

| Friday, March 13, 2015

भारत और मॉरीशस ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग को नई गति देने के लिए 11 मार्च 2015 को पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए. समझौता ज्ञापनों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ की उपस्थिति में पोर्ट लुइस में हस्ताक्षर किए गए.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन महासागर देशों सेशेल्स, मॉरीशस और श्रीलंका की पांच दिन की यात्रा पर है. यह यात्रा 10 मार्च 2015 को शुरू हुई और 14 मार्च 2015 को समाप्त होगी.
पिछले तीन दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली मॉरीशस यात्रा है.
दोनों देशों के बीच हस्ताक्षर किए गए समझौतों की सूची 


•    महासागर अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में मॉरीशस और भारत के बीच सहमति पत्र:यह समझौता समुद्री संसाधन, मत्स्य पालन, हरित पर्यटन, अनुसंधान और सागर प्रौद्योगिकी के विकास, विशेषज्ञों के आदान-प्रदान और अन्य संबंधित गतिविधियों के क्षेत्र में अन्वेषण और विकास के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग प्रदान करता है.

•    वर्ष  2015-18 के लिए भारत एवं मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक सहयोग के कार्यक्रम हेतु समझौता ज्ञापन: यह समझौता द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने में मदद करेगा और दोनों देशों के बीच अधिक से अधिक लोगों के बीच भागीदारी में वृद्धि करेगा.

•    भारत के कृषि मंत्रालय के कृषि एवं सहयोग विभाग और मॉरीशस गणराज्य के कृषि-उद्योग एवं खाद्य सुरक्षा मंत्रालय के बीच भारत से ताजे आमों के आयात के लिए समझौता: इस समझौते का लक्ष्य मॉरीशस द्वारा भारत से ताजे आमों के आयात को सुगम बनाना है, जिससे कि मॉरीशस के लोगों को भी विश्व विख्यात भारतीय आमों का जायका मिल सके.

•    मॉरीशस के अगालेगा द्वीप पर समुद्री एवं हवाई परिवहन सुविधाओं में सुधार के लिए समझौता ज्ञापन: इस समझौते से दूरस्थ द्वीप के निवासियों की स्थिति को सुधारने में मदद मिलेगी. ये सुविधाएं बाहरी द्वीप में उनके हितों की रक्षा करने में मॉरीशस के रक्षा बलों की क्षमताओं में वृद्धि करेंगे.

•    चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली एवं होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति पत्र: यह सहमति पत्र दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य और चिकित्सा के पारंपरिक प्रणाली के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देंगा. इसमें विशेषज्ञों के आदान-प्रदान, पारंपरिक चिकित्सीय तत्वों की आपूर्ति, दोनों देशों में स्वास्थ्य एवं दवा की पारंपरिक प्रणालियों की स्वीकृति, अनुसंधान एवं विकास का प्रावधान किया गया. इसका लक्ष्य आयुष के तहत आने वाले विभिन्न भारतीय पारंपरिक प्रणालियों को बढ़ावा देना और उन्हें लोकप्रिय बनाना है.

भारत ने प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए मॉरीशस के लिए 500 मिलियन अमरीकी डॉलर का रियायती कर्ज देने की पेशकश भी की.

इसके अलावा मॉरीशस के नागरिकों का दौरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकार पर शुल्क माफ किया गया. शुल्क के माफ किए जाने का उद्देश्य पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच संपर्क बढ़ाना है. 

दोनों प्रधानमंत्रियों ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीकों पर भी चर्चा की.

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