एरुग्नर की नियुक्ति इस्तांबुल (तुर्की) में आयोजित कांग्रेस सेंटर में की गयी. यह नियुक्ति विश्व धरोहर समिति की 40वीं बैठक के बाद की गयी.
कुदसी एरुग्नर की उपलब्धियां जिनके कारण उनका चयन किया गया:
• संगीत के सार्वजनिक महत्व को समझना तथा विभिन्न संस्कृतियों के बीच तालमेल स्थापित करना.
• संगीत की विरासत के संरक्षण हेतु उनके द्वारा उठाये गये कदमों के कारण.
• संस्कृतियों के मेल-मिलाप हेतु आयोजित किया गया अंतरराष्ट्रीय दशक.
• संगठन के आदर्शों के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता.
यूनेस्को के शांति कलाकार के रूप में उनके मुख्य कार्य में उन्हें संगीत की भूली विरासत पर कार्य करना होगा.
कुदसी एरुग्नर
• उनका जन्म 1952 में तुर्की में हुआ. वे तुर्की के जाने-माने नेय वादक, गीतकार, अध्यापक, लेखक एवं अनुवादक हैं.
• उन्हें उनके पिता उल्वी एरुग्नर द्वारा प्रशिक्षण दिया गया .
• उन्हें मेवलेवी सूफी संगीत का विद्वान् माना जाता है. यह संगीत पर्शियन एवं तुर्की संस्कृतियों के मेल से बना है.
• उन्होंने सांस्कृतिक संगीत कला को पुनर्जीवित करने में अहम योगदान दिया है.
यूनेस्को शांति कलाकार
यूनेस्को विश्व के उन कलाकारों का चयन करता है जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से विश्व पर छाप छोड़ी हो. यूनेस्को इन कलाकारों को जागरुकता फ़ैलाने तथा विश्व में शांति हेतु प्रयोग करता है
• उनका जन्म 1952 में तुर्की में हुआ. वे तुर्की के जाने-माने नेय वादक, गीतकार, अध्यापक, लेखक एवं अनुवादक हैं.
• उन्हें उनके पिता उल्वी एरुग्नर द्वारा प्रशिक्षण दिया गया .
• उन्हें मेवलेवी सूफी संगीत का विद्वान् माना जाता है. यह संगीत पर्शियन एवं तुर्की संस्कृतियों के मेल से बना है.
• उन्होंने सांस्कृतिक संगीत कला को पुनर्जीवित करने में अहम योगदान दिया है.
यूनेस्को शांति कलाकार
यूनेस्को विश्व के उन कलाकारों का चयन करता है जिन्होंने अपनी कला के माध्यम से विश्व पर छाप छोड़ी हो. यूनेस्को इन कलाकारों को जागरुकता फ़ैलाने तथा विश्व में शांति हेतु प्रयोग करता है
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