केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 27 जुलाई 2016 को बंदरगाह आधारित उद्योगों को वाटरफ्रंट एवं संबंधित भूमि उपलब्ध कराये जाने हेतु नीति को मंजूरी प्रदान की.
यह नीति इस क्षेत्र में एकरूपता और प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने हेतु विशेष भूमिका निभाएगी.
यह नीति इस क्षेत्र में एकरूपता और प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने हेतु विशेष भूमिका निभाएगी.
नीति की विशेषताएं
• नीतियों के इस क्षेत्र में नई परिसंपत्तियों के निर्माण सहित अप्रयुक्त मौजूदा परिसंपत्तियों का उपयोग भी शामिल है. यह नीति सभी प्रमुख बंदरगाहों पर लागू होगी.
• नीति के तहत, बंदरगाह आधारित उद्योगों को छूट दी जाएगी ताकि वे अगले 30 वर्षों तक आयात-निर्यात के लिए प्रबंध कर सकें.
• अधिकतम 30 वर्ष के कार्यकाल के उपरांत, इन प्रमुख बंदरगाहों में बर्थ निर्माण, अपतटीय एंकर, ट्रांसशिपमेंट जेटिस आदि बनाये जा सकेंगे.
• यह समझौता बंदरगाह विभाग एवं पीडीआई के मध्य किया जायेगा.
• नीतियों के इस क्षेत्र में नई परिसंपत्तियों के निर्माण सहित अप्रयुक्त मौजूदा परिसंपत्तियों का उपयोग भी शामिल है. यह नीति सभी प्रमुख बंदरगाहों पर लागू होगी.
• नीति के तहत, बंदरगाह आधारित उद्योगों को छूट दी जाएगी ताकि वे अगले 30 वर्षों तक आयात-निर्यात के लिए प्रबंध कर सकें.
• अधिकतम 30 वर्ष के कार्यकाल के उपरांत, इन प्रमुख बंदरगाहों में बर्थ निर्माण, अपतटीय एंकर, ट्रांसशिपमेंट जेटिस आदि बनाये जा सकेंगे.
• यह समझौता बंदरगाह विभाग एवं पीडीआई के मध्य किया जायेगा.
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