इस विधेयक में 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए परिवार से जुड़े व्यवसाय को छोड़कर विभिन्न क्षेत्रों में काम करने पर पूर्ण रोक का प्रावधान किया गया है. यह संगठित और असंगठित क्षेत्र दोनों पर लागू होता है.
इसके अलावा 14 से 18 साल तक के किशोरों को स्वास्थ्य के लिए खतरनाक माने जाने वाले उद्योगों को छोड़ कर दूसरे कारोबार में कुछ शर्तों के साथ काम करने की छूट मिल जाएगी. इस आयु वर्ग के बच्चों से किसी खतरनाक उद्योग में काम नहीं कराया जाएगा. इसे शिक्षा का अधिकार, 2009 से भी जोड़ा गया है और बच्चे अपने स्कूल के समय के बाद पारिवारिक व्यवसाय में घर वालों की मदद कर सकते हैं.
लोकसभा ने बालक श्रम प्रतिषेध और विनियमन कानून 1986 में संशोधन के प्रावधान वाले बालक श्रम प्रतिषेध और विनियमन संशोधन विधेयक, 2016 को ध्वनिमत से पारित कर दिया है. और राज्यसभा में यह विधेयक पहले ही पारित हो चुका है.
संशोधन के मुख्य तथ्य-
• इस विधेयक के अनुसार चौदह वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना संज्ञेय अपराध माना जायेगा.
• इसके लिए नियोक्ताा के साथ-साथ माता-पिता को भी दंडित किया जाएगा.
• विधेयक में चौदह से अठारह वर्ष के बीच के बच्चों को किशोर के रूप में परिभाषित किया गया है.
• इस आयु वर्ग के बच्चों से किसी खतरनाक उद्योग में काम नहीं कराया जाएगा.
• किसी बच्चे को काम पर रखने पर कैद की अवधि छह महीने से दो साल तक बढ़ा दी गयी है.
• अभी तक इस अपराध के लिये तीन महीने से एक साल तक की कैद की सज़ा का प्रावधान था.
• जुर्माना बढ़ाकर बीस हज़ार रुपये से पचास हज़ार रुपये तक कर दिया गया है.
• दूसरी बार अपराध करने पर एक साल से तीन साल तक की कैद का प्रावधान है.
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