29 जुलाई: अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस
विश्व भर में 29 जुलाई 2016 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया. यह दिवस प्रत्येक वर्ष बाघों को संरक्षण देने के उद्देश्य से 29 जुलाई को मनाया जाता है.
इस दिवस का उद्देश्य विश्वभर में बाघों के प्राकृतिक निवास को बचाना है ताकि उनका संरक्षण हो सके. साथ ही यह इस विषय पर सार्वजनिक जागरुकता का समर्थन जुटाने के लिए भी आवश्यक है.
इसकी स्थापना वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन में की गयी जिसमें वर्ष 2022 तक बाघों की जनसँख्या को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जाहिर की गयी.
आंकड़े
• बाघ विशेषज्ञों के आंकड़ों के अनुसार पिछले 100 वर्षों में विश्वभर में 97 प्रतिशत जंगली बाघ अपना अस्तित्व खो चुके हैं.
• वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड एवं ग्लोबल टाइगर फोरम के अनुसार वर्ष 2010 में बाघों की संख्या 3200 थी जबकि अब यह 3890 है.
• वर्ष 1915 में बाघों की संख्या एक लाख थी.
• बाघों की कुछ प्रजातियां पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं.
• भारत उन देशों में शामिल है जिसमे बाघों की जनसख्या सबसे अधिक है, भारत में मौजूदा समय में इनकी संख्या 2226 है.
• भारत, नेपाल, रूस एवं भूटान में पिछले कुछ समय से बाघों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
विश्व भर में 29 जुलाई 2016 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया. यह दिवस प्रत्येक वर्ष बाघों को संरक्षण देने के उद्देश्य से 29 जुलाई को मनाया जाता है.
इस दिवस का उद्देश्य विश्वभर में बाघों के प्राकृतिक निवास को बचाना है ताकि उनका संरक्षण हो सके. साथ ही यह इस विषय पर सार्वजनिक जागरुकता का समर्थन जुटाने के लिए भी आवश्यक है.
इसकी स्थापना वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन में की गयी जिसमें वर्ष 2022 तक बाघों की जनसँख्या को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जाहिर की गयी.
आंकड़े
• बाघ विशेषज्ञों के आंकड़ों के अनुसार पिछले 100 वर्षों में विश्वभर में 97 प्रतिशत जंगली बाघ अपना अस्तित्व खो चुके हैं.
• वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड एवं ग्लोबल टाइगर फोरम के अनुसार वर्ष 2010 में बाघों की संख्या 3200 थी जबकि अब यह 3890 है.
• वर्ष 1915 में बाघों की संख्या एक लाख थी.
• बाघों की कुछ प्रजातियां पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं.
• भारत उन देशों में शामिल है जिसमे बाघों की जनसख्या सबसे अधिक है, भारत में मौजूदा समय में इनकी संख्या 2226 है.
• भारत, नेपाल, रूस एवं भूटान में पिछले कुछ समय से बाघों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
बाघों का शिकार
• भारत में बाघों का शिकार उनके विलुप्त होने की सबसे बड़ी समस्या है. वर्ष 2014 में 81, 2015 में 25 एवं अप्रैल 2016 तक 28 बाघों का शिकार किया गया.
• संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम एवं इंटरपोल के अनुसार, पर्यावरणीय अपराध क्षेत्र का वार्षिक मूल्यांकन 258 अमेरिकन बिलियन से अधिक है.
• बढ़ते शहरीकरण एवं कृषि आधारित भूमि के घटने से बाघों के प्राकृतिक निवास में 93 प्रतिशत की कमी देखी गयी है.
• बहुत कम बाघ हैं जो छोटे, बिखरे द्वीपों पर रह सकते हों, इससे इनके शिकार a खतरा और अधिक बढ़ जाता है.
• भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर स्थित सुंदरवन में विश्व के सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं.
• यह बंगाल टाइगर का निवास स्थल माना जाता है. इस क्षेत्र में रहने से बाघ बाहरी खतरों से भी बच जाता है.
सुंदरवन में खतरा
• जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्री स्तर से बाघों के निवास स्थान एवं उनके जीवन को खतरा बढ़ा है.
• डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अध्ययन के अनुसार 2070 तक समुद्र का स्तर लगभग एक फुट बढ़ जायेगा जिससे समूचा सुंदरवन समाप्त हो सकता है.
• भारत में बाघों का शिकार उनके विलुप्त होने की सबसे बड़ी समस्या है. वर्ष 2014 में 81, 2015 में 25 एवं अप्रैल 2016 तक 28 बाघों का शिकार किया गया.
• संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम एवं इंटरपोल के अनुसार, पर्यावरणीय अपराध क्षेत्र का वार्षिक मूल्यांकन 258 अमेरिकन बिलियन से अधिक है.
• बढ़ते शहरीकरण एवं कृषि आधारित भूमि के घटने से बाघों के प्राकृतिक निवास में 93 प्रतिशत की कमी देखी गयी है.
• बहुत कम बाघ हैं जो छोटे, बिखरे द्वीपों पर रह सकते हों, इससे इनके शिकार a खतरा और अधिक बढ़ जाता है.
• भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर स्थित सुंदरवन में विश्व के सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं.
• यह बंगाल टाइगर का निवास स्थल माना जाता है. इस क्षेत्र में रहने से बाघ बाहरी खतरों से भी बच जाता है.
सुंदरवन में खतरा
• जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्री स्तर से बाघों के निवास स्थान एवं उनके जीवन को खतरा बढ़ा है.
• डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अध्ययन के अनुसार 2070 तक समुद्र का स्तर लगभग एक फुट बढ़ जायेगा जिससे समूचा सुंदरवन समाप्त हो सकता है.
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