केंद्र सरकार ने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों को 1/5 (20 प्रतिशत) तक कम करने की योजना बनाई है.
रिपोर्ट के अनुसार, 106 जिलों को जिन्हें पहले माओवाद प्रभावित क्षेत्र दर्शाया गया था अब उनमें से 20 क्षेत्र इस सूची का हिस्सा नहीं होंगे.
इन जिलों को इस सूची से हटाने से इन्हें दी जाने वाली वित्तीय सहायता भी समाप्त कर दी जाएगी. अनुमानतः इन क्षेत्रों में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए 30 करोड़ रुपये वार्षिक दिए जाते हैं.
विशेषताएं
• रेड कॉरिडोर देश के 10 राज्यों में मौजूद 106 जिलों में फैला है. यह दस राज्य हैं बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़.
• यह जिले वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की रूप में वर्णित हैं तथा उन्हें रेड कॉरिडोर के रूप में दर्शाया गया है.
• इन 106 में से 44 जिलों को अत्यधिक प्रभावित बताया गया है.
रिपोर्ट के अनुसार, 106 जिलों को जिन्हें पहले माओवाद प्रभावित क्षेत्र दर्शाया गया था अब उनमें से 20 क्षेत्र इस सूची का हिस्सा नहीं होंगे.
इन जिलों को इस सूची से हटाने से इन्हें दी जाने वाली वित्तीय सहायता भी समाप्त कर दी जाएगी. अनुमानतः इन क्षेत्रों में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए 30 करोड़ रुपये वार्षिक दिए जाते हैं.
विशेषताएं
• रेड कॉरिडोर देश के 10 राज्यों में मौजूद 106 जिलों में फैला है. यह दस राज्य हैं बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़.
• यह जिले वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की रूप में वर्णित हैं तथा उन्हें रेड कॉरिडोर के रूप में दर्शाया गया है.
• इन 106 में से 44 जिलों को अत्यधिक प्रभावित बताया गया है.
माओवाद से प्रभावित जिले
• यहां अत्यधिक हिंसा मौजूद रहती है.
• माओवादी एवं उनके समर्थकों को सैन्य सहायता दी जाती है.
वर्ष 2006 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से नक्सलवाद को देश का इकलौता आन्तरिक सुरक्षा खतरा बताया था. उन्होंने कहा कि देश का एक बड़ा वर्ग जो वंचित है, नक्सलवाद से जुड़ा हुआ है. इसके बाद 2013 में सरकार ने देश के 76 जिलों को नक्सलवाद प्रभावित घोषित किया.
वामपंथी उग्रवाद और रेड कॉरिडोर का समापन करने के लिए शुरू की गयी परियोजना
केंद्र सरकार ने नक्सलवाद से प्रभावित जिलों में इन खतरों से निपटने हेतु विशेष परियोजना आरंभ की. इन जिलों को उनमें होने वाली हिंसा के आधार पर बांटा गया है. व्यय वित्त समिति (ईएफसी) ने इन 44 जिलों में सड़क परियोजना के लिए अपनी मंजूरी प्रदान की है. इस परियोजना के तहत 5412 किलोमीटर की सड़क का निर्माण किया जायेगा जिसमें 126 पुलों का निर्माण होगा तथा इस परियोजना का कुल खर्च 11725 करोड़ रुपये होगा.
• यहां अत्यधिक हिंसा मौजूद रहती है.
• माओवादी एवं उनके समर्थकों को सैन्य सहायता दी जाती है.
वर्ष 2006 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से नक्सलवाद को देश का इकलौता आन्तरिक सुरक्षा खतरा बताया था. उन्होंने कहा कि देश का एक बड़ा वर्ग जो वंचित है, नक्सलवाद से जुड़ा हुआ है. इसके बाद 2013 में सरकार ने देश के 76 जिलों को नक्सलवाद प्रभावित घोषित किया.
वामपंथी उग्रवाद और रेड कॉरिडोर का समापन करने के लिए शुरू की गयी परियोजना
केंद्र सरकार ने नक्सलवाद से प्रभावित जिलों में इन खतरों से निपटने हेतु विशेष परियोजना आरंभ की. इन जिलों को उनमें होने वाली हिंसा के आधार पर बांटा गया है. व्यय वित्त समिति (ईएफसी) ने इन 44 जिलों में सड़क परियोजना के लिए अपनी मंजूरी प्रदान की है. इस परियोजना के तहत 5412 किलोमीटर की सड़क का निर्माण किया जायेगा जिसमें 126 पुलों का निर्माण होगा तथा इस परियोजना का कुल खर्च 11725 करोड़ रुपये होगा.
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