पारिवारिक व्यवसाय के मामले में इस नियम में छूट दी गयी है. विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि पारिवारिक व्यवसाय व कार्यों में बच्चे मदद कर सकते हैं.
- श्रम और रोज़गार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के अनुसार यह विधेयक अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन समझौते के प्रावधानों के अनुरूप है.
- संशोधित विधेयक में उल्लंघन करने वालों के लिये और कड़े दंड की व्यवस्था की गयी है.
- पारिवारिक उद्यम में नियोक्ता और कर्मचारी जैसा कोई संबंध नहीं होगा और सुरक्षा के पर्याप्त इंतज़ाम होंगे.
संशोधन के मुख्य तथ्य-
- इस विधेयक के अनुसार चौदह वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम करवाना संज्ञेय अपराध माना जायेगा.
- इसके लिए नियोक्ता के साथ-साथ माता-पिता को भी दंडित किया जाएगा.
- विधेयक में चौदह से अठारह वर्ष के बीच के बच्चों को किशोर के रूप में परिभाषित किया गया है.
- इस आयु वर्ग के बच्चों से किसी खतरनाक उद्योग में काम नहीं कराया जाएगा.
- किसी बच्चे को काम पर रखने पर कैद की अवधि छह महीने से दो साल तक बढ़ा दी गयी है.
- अभी तक इस अपराध के लिये तीन महीने से एक साल तक की कैद की सज़ा का प्रावधान था.
- जुर्माना बढ़ाकर बीस हज़ार रुपये से पचास हज़ार रुपये तक कर दिया गया है.
- दूसरी बार अपराध करने पर एक साल से तीन साल तक की कैद का प्रावधान है.
पृष्ठ भूमि-
- बाल श्रम (निषेध एवं नियमन) संशोधन विधेयक, 2012 श्रम और रोजगार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा 4 दिसंबर 2012 को राज्यसभा में पेश किया गया था.
- बाद में, विधेयक 2012 में संशोधन 13 मई 2015 को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया.
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