एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग ने 27 अक्टूबर 2015 को “डिज़ास्टर विदआउट बॉर्डर्स : रीजनल रेज़िलेंस फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट” शीर्षक से रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 से 2014 की अवधि के मध्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 1625 प्राकृतिक आपदा की घटनाए घटित हुईं. इस दौरान इन आपदाओं से लगभग 500000 लोगों की मृत्यु हुई. 1.4 बिलयन लोग प्रभावित हुए और 523 बिलियन यूएस डॉलर की आर्थिक क्षति हुई.
रिपोर्ट में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सबसे अधिक आपदा के खतरे की आशंका व्यक्त की गई. इस क्षेत्र के कई देश ‘रिंग ऑफ़ फायर’ के क्षेत्र में आते हैं जो जहां प्रायः भूकम्प और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं जन्म लेती हैं. जिस कारण इस क्षेत्र में आपदाओं से सबसे ज्यादा आर्थिक क्षति हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में वैश्विक प्राकृतिक आपदाओं में से 40 प्रतिशत आपदा एशिया प्रशांत क्षेत्र में घटित हुई. इस दौरान इस क्षेत्र 500000 की लोगों की मौत हुई.
रिपोर्ट में बताया गया है कि संवेदन शील क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल बनाने और आपदा जोखिम के विरुद्ध तैयार करने के लिए अधिक खर्च करने की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा क्षति बाढ़ और भूकंप से हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2005 से 2014 की अवधि के मध्य एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 1625 प्राकृतिक आपदा की घटनाए घटित हुईं. इस दौरान इन आपदाओं से लगभग 500000 लोगों की मृत्यु हुई. 1.4 बिलयन लोग प्रभावित हुए और 523 बिलियन यूएस डॉलर की आर्थिक क्षति हुई.
रिपोर्ट में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में सबसे अधिक आपदा के खतरे की आशंका व्यक्त की गई. इस क्षेत्र के कई देश ‘रिंग ऑफ़ फायर’ के क्षेत्र में आते हैं जो जहां प्रायः भूकम्प और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाएं जन्म लेती हैं. जिस कारण इस क्षेत्र में आपदाओं से सबसे ज्यादा आर्थिक क्षति हुई है.
रिपोर्ट के अनुसार पिछले 10 वर्षों में वैश्विक प्राकृतिक आपदाओं में से 40 प्रतिशत आपदा एशिया प्रशांत क्षेत्र में घटित हुई. इस दौरान इस क्षेत्र 500000 की लोगों की मौत हुई.
रिपोर्ट में बताया गया है कि संवेदन शील क्षेत्र होने के कारण इस क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूल बनाने और आपदा जोखिम के विरुद्ध तैयार करने के लिए अधिक खर्च करने की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा क्षति बाढ़ और भूकंप से हुई है.
इनमे से कई आपदाएं जैसे बाढ़, चक्रवात, सूखा और भूकंप सीमा पार की हैं अर्थात सीमाबद्ध नहीं हैं. इसलिए इस क्षेत्र के विभिन्न राष्ट्रों के मजबूत क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता है.
संयुक्त राष्ट्र ने इस क्षेत्र की सरकारों से आपदा से निपटने के लिए अधिक निवेश करने का आग्रह किया है.
रिपोर्ट में पूर्व चेतावनी प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला गया है और सही समय पर सही जानकारी सही लोगों तक उपलब्ध कराने के उपायों का भी उल्लेख किया गया. जारी की गई इस रिपोर्ट में बाढ़ जैसे फॉरगेटेन डिज़ास्टर के प्रभावों को चिन्हित किया गया है जो कर्ज, गरीबी और कभी-कभी आत्महत्या का कारण बनती हैं. रिपोर्ट में बताया गया की यदि आपदा प्रबंधन पर भारी निवेश किया जाए जो आपदा के बाद होने वाले जान माल और अथिक क्षति को कम किया जा सकता है.
रिपोर्ट में बताया गया की जो देश और क्षेत्र सूचना और तकनीक को साझा करते हैं उनमे आपदा से निपटने की क्षमता अधिक है.
संयुक्त राष्ट्र ने इस क्षेत्र की सरकारों से आपदा से निपटने के लिए अधिक निवेश करने का आग्रह किया है.
रिपोर्ट में पूर्व चेतावनी प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला गया है और सही समय पर सही जानकारी सही लोगों तक उपलब्ध कराने के उपायों का भी उल्लेख किया गया. जारी की गई इस रिपोर्ट में बाढ़ जैसे फॉरगेटेन डिज़ास्टर के प्रभावों को चिन्हित किया गया है जो कर्ज, गरीबी और कभी-कभी आत्महत्या का कारण बनती हैं. रिपोर्ट में बताया गया की यदि आपदा प्रबंधन पर भारी निवेश किया जाए जो आपदा के बाद होने वाले जान माल और अथिक क्षति को कम किया जा सकता है.
रिपोर्ट में बताया गया की जो देश और क्षेत्र सूचना और तकनीक को साझा करते हैं उनमे आपदा से निपटने की क्षमता अधिक है.
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