विश्व भर में 4 नवम्बर 2016 से पेरिस अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौता लागू किया गया. इससे देशों पर पृथ्वी के बढ़ते हुए तापमान को रोकने तथा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी को लेकर दबाव बढ़ेगा.
विश्व भर में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले दो तिहाई देशों (96 देश) के शामिल होने बाद इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का रूप दिया गया. इसमें 55 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित करने वाले 55 देश भी शामिल हैं. अगले कुछ समय में और अधिक देशों के इसमें शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
विश्व भर में ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले दो तिहाई देशों (96 देश) के शामिल होने बाद इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का रूप दिया गया. इसमें 55 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जित करने वाले 55 देश भी शामिल हैं. अगले कुछ समय में और अधिक देशों के इसमें शामिल होने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
पेरिस जलवायु परिवर्तन समझौते को दिसम्बर 2015 में चीन, अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित करीब 200 देशों का समर्थन मिल गया था जिससे अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जा सकता है.
इस समझौते का उद्देश्य ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस सीमित करना है.
इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि समझौते पर 192 पक्षों ने पेरिस में दिसंबर 2015 में हस्ताक्षर किये. उन्होंने कहा कि यह धुव्रीय बर्फ के पिघलने, समुद्र जल स्तर में वृद्धि और कृषि योग्य भूमि के रेगिस्तान में तब्दील होने की समस्या के हल के लिए अंतराष्ट्रीय समुदाय की एक नयी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है जो संपूर्ण मानव जाति के लिए ऐतिहासिक एवं महत्वपूर्ण है.
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