पुराने 500 और 1000 रु. के नोटों की समानांतर अर्थव्यवस्था-(24-NOV-2016) C.A

| Thursday, November 24, 2016
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 500 और 1000 रु. के नोटों के विमुद्रीकरण ने नया मोड़ ले लिया है. इसने एक नई प्रकार की अर्थव्यवस्था को जन्म दे दिया है जो पुरानी अवैध टेंडर पर फलती–फूलती है. 
नई समानांतर अर्थव्यवस्था पुराने नोटों का स्वागत करती है लेकिन रियायती दर पर जो अक्सर करीब 30% के आस–पास होती है.
मुख्य बातें:
•    विमुद्रीकरण के बावजूद पुराने वैध नोट अभी भी कई स्थानीय डिपार्टमेंटल स्टोर, निजी दवाखानों, छोटे ढाबों/ होटलों, सब्जी बेचनेवालों और स्थानीय खुदरा व्यापारियों द्वारा लिए जा रहे हैं.
•    इन नोटों को कुछ कीमत पर लिया जाता है. ग्राहक नोट के कुल मान के करीब 80% मान के बराबर का ही सामान खरीद पाएगा यानि अगर आपने 1000 रुपये का नोट दिया है तो आपको करीब 800 रुपये का ही सामान मिलेगा.
•    ऐसे स्थान जहां मूल्यों में कोई कटौती नहीं की जा रही है वहां ग्राहकों से पूरे मान के बराबर का सामान खरीदने की उम्मीद की जा रही है. यह छोटे खुदरा व्यापारियों से लेकर निजी– स्वामित्व वाली फार्मेसियों तक के लिए सही है.
•    यहां तक कि जिन लोगों के पास 2000 रु. का नया नोट है, उन्हें भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें भी पूरे 2000 रु. का सामान लेना पड़ रहा है क्योंकि खुल्ले वापस नहीं किए जा रहे.
प्रतिक्रियाएं:
•    पुराने नोट लेने वालों के लिए काले धन का प्रवाह अभी भी जारी है.
•    मध्यम वर्ग की बचत प्रभावित हुई है क्योंकि रोजमर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के लिए अब उन्हें ज्यादा पैसे देने पड़ रहे हैं.
•    काली अर्थव्यवस्था (ब्लैक इकॉनमी) का उदय.
समानांतर अर्थव्यवस्था क्या है?
समानांतर अर्थव्यवस्था जिसे ब्लैक इकॉनमी भी करते हैं, एक ऐसी अर्थव्यवस्था होती है जो काले धन या वैसे धन के साथ काम करता है जिसका हिसाब नहीं रखा जाता. इस प्रणाली के तहत होने वाले लेनदेन को सरकार से छिपाया जाता है और इसलिए अलिखित होता है और इस पर कर भी नहीं लगता.

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