रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 16 नवंबर 2016 को रूस के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) संधि से बाहर होने संबंधी आदेश पर हस्ताक्षर कर दिया.
रूस ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की संस्थापक संधि रोम अधिनियम पर वर्ष 2000 में हस्ताक्षर किया था लेकिन राजधानी मास्को ने इसे कभी आधिकारिक रूप से वैध नहीं घोषित किया जिसका अर्थ है रूस कभी भी इसका सदस्य नहीं था और उसे इसके न्यायक्षेत्र के अधीन नहीं लाया जा सकता. यह फैसला सदस्य देशों की आमसभा के पहले दिन किया गया.
फैसले की मुख्य वजह:
• आईसीसी ने 14 नवंबर 2016 को एक आदेश पारित किया था जिसमें 2014 में क्रीमिया पर रूस के कब्जे को एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य संघर्ष बताया था. आईसीसी के इस आदेस से मास्को नाराज हो गया क्योंकि उसका दावा है कि लोकसम्मत मतदान के बाद क्रीमिया खुद रूस का हिस्सा बना है.
• सीरिया के वर्तमान राष्ट्रपति बशर अल– असद के समर्थन में रूस को सीरिया पर किए गए हवाई हमले की व्यापक आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
• न्यायालय 2008 में रूस और जॉर्जिया की सेना द्वारा किए गए युद्ध अपराधों की भी जांच कर रहा है.
• रूस आईसीसी को अंतरराष्ट्रीय न्याय के लिए एक वास्तविक स्वतंत्र आधिकारिक संस्था के तौर पर नहीं देखता.
• रूस का दावा है कि बीते 14 वर्षों में आईसीसी ने सिर्फ चार फैसले दिए हैं और करीब 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर खर्च कर दिए हैं.
आईसीसी के बारे में:
• नीदरलैंड्स के हेग स्थित मुख्यालय वाले इस न्यायालय की स्थापना 1998 में हुई थी. 1 जुलाई 2002 को, जब रोम अधिनियम पर 120 देशों ने हस्ताक्षर किए, तब से इसने काम करना शुरु किया था.
• यह एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण है जिसके पास नरसंहार, मानवता के खिलाफ अपराध और युद्ध अपराध करने वाले व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार है.
• हालांकि यह संयुक्त राष्ट्र से स्वतंत्र है, रोम अधिनियम संधि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को कुछ अधिकार देती है जिसकी वजह से इसके कार्य करने की स्वतंत्रता सीमित हो जाती है.
• माना जाता है कि यह मौजूदा राष्ट्रीय न्यायिक प्रणालियों के साथ मिल कर काम करेगी.
• यह उन मामलों की सुनवाई करता है जिन मामलों पर राष्ट्रीय अदालतें या तो सुनवाई करना नहीं चाहतीं या करने में अक्षम हैं या वह उन मामलों की सुनवाई करता है जिसे कोई देश या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इसके पास भेजती है.
इस संधि से बाहर होने वाला रूस पहला देश नहीं है. दक्षिण अफ्रीका, जाम्बिया और बुरुंडी ने भी इसी वर्ष इससे अपनी सदस्या समाप्त की है. हालांकि क्लिंटन के शासनकाल में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने रोम अधिनियम पर हस्ताक्षर किया था, लेकिन जॉर्ज डब्ल्यू बुश के शासनकाल में अमेरिका इस संधि से अलग हो गया. भारत और चीन ऐसे कुछ देशों में से हैं जिन्होंने न्यायाधिकरण में शामिल होने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया था.
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