एएमए ने एलईडी का चुनाव करने के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किये ताकि इसके मानव और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके.
एलईडी के प्रभाव
• यह नीली रोशनी मानवीय आँखों से सफेद दिखती है जिसका रात के समय आँखों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
• तेज़ नीली रोशनी से देखने की क्षमता में कमी तथा एकाग्रता भी प्रभावित होती है.
• सड़कों पर लगाई गयी नीली रोशनी का ड्राइवरों पर भी प्रभाव पड़ता है जिससे वाहन चलाते समय आँखें चौंधिया सकती हैं.
• यह देखा गया है कि एलईडी बल्ब की तुलना में साधारण रोशनी में सोने पर पांच गुना बेहतर परिणाम दिखाई देता है.
• इसका प्रभाव केवल मनुष्यों पर ही नहीं पड़ता अपितु जो प्राणी अंधेरे में रहना पसंद करते हैं उनके जीवन पर इसका सीधा असर पड़ता है. इनमें पक्षी, कीड़े-मकोड़े, कछुआ तथा मछलियों की कुछ प्रजातियां शामिल हैं जिन्हें एलईडी के कारण समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
इससे पहले किये गए कुछ अध्ययनों में भी इसी प्रकार के आंकड़े प्रस्तुत किये गये थे. इसमें पाया गया कि जिन घरों में तेज़ रोशनी की जाती है वहां लोगों की निद्रा की अवधि कम हो गयी है. पूरी नींद नहीं लेने से लोगों में क्रोध, चिडचिडापन एवं मोटापे जैसी बीमारियां भी घर करती जा रही हैं.
दिशा-निर्देश
• इसके तहत लोगों से नीली रोशनी वाले कम-से-कम बल्ब प्रयोग करने के लिए कहा गया.
• एलईडी लाइट्स को कवर कर के ही जलाया जाना चाहिए ताकि इसकी चौंध से होने वाले नुकसान से बचा जा सके.
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