भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की पूर्ण सदस्यता के लिए 24 जून 2016 को मेमोरेंडम ऑफ़ ऑब्लिगेशन पर हस्ताक्षर किए. विदेश मंत्रालय में सचिव (पूरब) सुजाता मेहता ने एससीओ सम्मेलन में दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए.
पाकिस्तान को भी एससीओ के पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया जा रहा है. भारत को समूह का सदस्य बनाने के लिए प्रक्रिया की शुरुआत जुलाई 2015 में उफा में हुए एससीओ सम्मेलन में हुई थी जब भारत, पाकिस्तान और ईरान को सदस्यता प्रदान करने के लिए प्रशासनिक बाधाओं को दूर कर दिया गया था.
शंघाई सहयोग संगठन:
• शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है.
• इसकी स्थापना चीन, रूस, कज़ाख़स्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान और उज़्बेकिस्तान के नेताओं द्वारा शंघाई में 15 जून 2001 को की गई थी.
• अप्रैल 1996 में शंघाई में हुई एक बैठक में चीन, रूस, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान आपस में एक-दूसरे के नस्लीय और धार्मिक तनावों से निबटने के लिए सहयोग करने पर राज़ी हुए थे. इसे शंघाई फ़ाइव कहा गया था.
• जून 2001 में चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देशों कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज़बेकिस्तान के नेताओं ने शंघाई सहयोग संगठन शुरू किया और नस्लीय और धार्मिक चरमपंथ से निबटने और व्यापार और निवेश को बढ़ाने के लिए समझौता किया.
• शंघाई फ़ाइव के साथ उज़बेकिस्तान के आने के बाद इस समूह को शंघाई सहयोग संगठन कहा गया.
• रूस, चीन, कज़ाकस्तान, किर्गिस्तान, तज़ाकिस्तान और उज़बेकिस्तान एससीओ के स्थायी सदस्य देश हैं.
• शंघाई सहयोग संगठन के छह सदस्य देशों का भूभाग यूरोशिया का 60 प्रतिशत है. यहां दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं.
संगठन का मुख्य उद्देश्य:
• आतंकवाद, अलगाववाद, उग्रवाद व मादक पदार्थों की तस्करी के विरुद्ध संघर्ष करना.
• आर्थिक सहयोग, ऊर्जा के क्षेत्र में साझेदारी, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना.
• मध्य एशिया में सुरक्षा चिंताओं के मद्देनज़र सहयोग बढ़ाना.
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