वैज्ञानिकों ने मानव जीनोम परियोजना "राइट टू सिंथेसाइज इंटायर जीनोम" की घोषणा की-(25-JUNE-2016) C.A

| Saturday, June 25, 2016
2 जून 2016 को 25 वैज्ञानिकों की टीम ने विज्ञान की पत्रिका में ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट–राइट (एचजीपी–राइट) के तहत शून्य से संपूर्ण मानव जीनोम के संश्लेषण पर अपने प्रस्ताव को प्रकाशित किया.
परियोजना का उद्देश्य प्रयोगशाला में डीएनए खंड में इंजीनियरिंग की लागत को कम करना है. 

इसके समर्थकों ने इसी स्तर पर एक परियोजना की कल्पना की थी-ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट-रीड (एचजीपी–रीड), इसके तहत ह्यूमन जीनोम को 2003 में अनुक्रमित किया गया था. 

ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट -राइट (एचजीपी–राइट) 

• परियोजना को ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट–राइट इसलिए नाम दिया गया क्योंकि संश्लेषण आनुवंशिक कोड को पढ़ने की बजाए लिखने के बारे में होगा. 

• एचजीपी–राइट को नई, स्वतंत्र, गैरलाभकारी संगठन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर इंजीनियरिंग बायोलॉजी के माध्यम से लागू किया जाएगा. 

• प्रस्ताव से प्रत्यर्पण के लिए मानव अंगों के विकास को सक्षम बना सकता है और टीकों के विकास में तेजी ला सकता है.  

• इसमें 10 वर्षों का समय लग सकता है और शुरु करने के लिए न्यूनतम 100 मिलियन डॉलर की जरूरत होगी.

संभावित प्रयोग 

• संभावित प्रयोग में प्रत्यर्पणीय मानव अंगों का विकास और जीनोम में रिकॉर्डिंग के माध्यम से कोशिका में वायरस की प्रतिरोध क्षमता की अभियंत्रिकी शामिल है. 

• अन्य संभावित लाभों में शामिल है–नए चिकित्सीय कोशिका लाइनों में कैंसर प्रतिरोध इंजीनियरिंग और उच्च–उत्पादकता को बढ़ावा देना, कम कीमत वाला टीका और मानव कोशिकाओं एवं अंगों का प्रयोग कर दवा का विकास. 

टिप्पणी 

मानव का जीनोम प्रत्येक जीव का आनुवंशिक ब्लूप्रिंट होता है जो डीएनए का पूर्ण सेट है. इसमें जीवित रहने और फलने-फूलने के लिए आवश्यक निर्देश होते हैं. मानव जीनोम का अनुक्रमण करने के लिए 30000 जीनों में पैक डीएनए के करीब तीन बिलियन बेस युग्मों से सटीक क्रम को डीकोड करने की आवश्यकता होती है. 

जीनोम संश्लेषण अनुवंशिक अभियंत्रिकी उपकरणों का तार्किक विस्तार है जिसका प्रयोग जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में 40 से भी अधिक वर्षों से सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है. इसने महत्वपूर्ण सामाजिक लाभ प्रदान किए हैं और यह जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है. 

हालांकि यह एक दिन बिना जैविक माता-पिता के बच्चे पैदा करने की क्षमता और इस विषय पर हाल ही में हुए बंद कमरे की बैठक की गोपनीयता की वजह से नैतिक चिंताओं को बढ़ाता है

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