राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति 2016 का मसौदा जारी-(25-JUNE-2016) C.A

| Saturday, June 25, 2016
14 जून 2016 को केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति 2016 का मसौदा जारी किया. 

यह नीति 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 175  गिगावाट स्थापित क्षमताओं को प्राप्त करने के लक्ष्य तक पहुंचने के केंद्र सरकार के प्रयासों का हिस्सा है. इसमें 100 गिगावाट सौर ऊर्जा और 60 गिगावाट पवन ऊर्जा शामिल है 

लक्ष्यः 2022 तक 10 गिगावाट पवन-सौर हाइब्रिड क्षमता प्राप्त करना 

नीति का उद्देश्यः 

• पारेषण बुनियादी ढांचा और भूमि का अधिकतम एवं कुशल उपयोग के लिए पवन-सौर पीवी प्रणाली से जुड़े बड़े ग्रिड को प्रोत्साहित करने के लिए रूपरेखा प्रदान करना, अक्षय ऊर्जा उत्पादन में परिवर्तनशीलता को कम करना और इस प्रकार बेहतर ग्रिड स्थिरता प्राप्त करना.  

• नई प्रौद्योगिकियों, पद्धतियों और पवन एवं सौर पीवी संयंत्रों के संयुक्त संचालन में शामिल तरीकों को बढ़ावा देना. 

नीति की विशेषताएं– 

(क) पवन–सौर हाइब्रिड प्रणालीः 

• ये प्रणालिया ग्रिड कनेक्शन के एक ही बिन्दु पर संचालित करने के लिए विन्यस्त किए जाएंगे. 

• पारेषण संरचना का अधिकतम औऱ कुशल उपयोग और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में परिवर्तनशीलता को कम कर बेहतर ग्रिड स्थिरता प्राप्त करना. 

• सौर पीवी क्षमता का आकार सौर-हाइब्रिड घटक को जोड़ा जाएगा जो अपेक्षाकृत छोटा हो सकता है. 

(ख) कार्यान्वयनः 

पवन सौर हाइब्रिड प्रणाली का कार्यान्वयन अलग-अलग विन्यास और पवन-सौर हाइब्रिड-एसी एकीकरण, पवन-सौर हाइब्रिड-डीसी एकीकरण, मौजूदा पवन/ सौर पीवी संयंत्रों का नई पवन–सौर हाइब्रिड संयंत्रों के साथ हाइब्रिडिकरण जैसी तकनीकों का प्रयोग.

( ग) प्रोत्साहनः 

• सरकार विभिन्न प्रोत्साहनों के माध्यम से पवन-सौर हाइब्रिड प्रणालियों के विकास को प्रोत्साहित करेगी.

• पवन एवं सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए उपलब्ध सभी राजकोषीय और वित्तीय प्रोत्साहन को हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है. 

• इरडा (IREDA) और बहुपक्षीय बैंकों समेत अन्य वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से हाइब्रिड परियोजनाओं के लिए कम लागत वाले वित्त उपलब्ध कराए जा सकते हैं. 

(घ) अनुसंधान और विकासः 

सरकार हाइब्रिड प्रणाली के क्षेत्र में तकनीक विकास परियोजनाओं का समर्थन करेगी. इसके अलावा, हाइब्रिड प्रणाली के लिए मानकों के विकास के लिए समर्थन मुहैया कराया जाएगा. 
यह नीति जब तक सरकार द्वारा वापस नहीं ले ली जाती, तब तक लागू रहेगा. सरकार आवश्यकता के अनुसार जब चाहे नीति की समीक्षा कर सकती है.

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