केन्द्र सरकार ने 1000 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के लिए योजना आरंभ की-(17-JUNE-2016) C.A

| Friday, June 17, 2016
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केंद्र सरकार ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के साथ मिलकर 15 जून 2016 को केंद्रीय पारेषण उपयोगिता (सीटीयू) 1000 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने के लिए योजना आरंभ की.

योजना का आरंभ उन क्षेत्रों को पवन उर्जा प्रदान करना है जहां पवन की गति कम रहती है. इन क्षेत्रों में नीलामी द्वारा आवंटन किया जायेगा.

इस योजना के तहत सरकार वर्ष 2022 तक अक्षय उर्जा संसाधनों द्वारा 175 गीगावॉट बिजली के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहती है. कुल 175 गीगावॉट में 60 गीगावॉट बिजली पवन उर्जा द्वारा प्राप्त की जाएगी.

योजना के मुख्य बिंदु

•    1000 मेगावाट की इस परियोजना की परिकल्पना सीटीयू से जुड़े पवन उर्जा कार्यक्रम के तहत निर्माण, स्वामित्व एवं संचालन आधार पर की गयी है.

•    डिस्कॉम एवं गैर-पवन वाले क्षेत्रों से मांग की अधिकता होने पर इसकी क्षमता को 1000 मेगावाट से अधिक किया जा सकता है.

•    भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) को योजना के कार्यान्वयन हेतु नोडल एजेंसी बनाया गया है.

•    इससे प्रतियोगी वातावरण तैयार होगा जिससे परियोजनाओं का आकार भी बढ़ेगा  एवं ई-नीलामी से पारदर्शिता आएगी. 

•    इससे विभिन्न राज्यों को जिनमे पवन उर्जा अथवा सौर उर्जा की कमी है उन्हें भी लाभ प्राप्त होगा.

भारत में पवन उर्जा

90 के दशक में भारत ने पवन उर्जा द्वारा बिजली प्राप्त करना आरंभ किया. उसी समय से इस क्षेत्र में सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.

वर्तमान में भारत में कुल क्षमता 26.7 गीगावाट है जो कुल उर्जा क्षमता का 9 प्रतिशत है. विश्व में चीन, अमेरिका एवं जर्मनी के बाद चौथे स्थान पर है.

राष्ट्रीय पवन उर्जा संस्थान द्वारा भारत में 100 मीटर की ऊंचाई पर पवन उर्जा की क्षमता का आकलन किया है, अनुमान के अनुसार यह क्षमता 302 गीगावाट हो सकती है.

भारत के वह राज्य जिनमें सबसे अधिक पवन उर्जा के अवसर मौजूद हैं – आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु एवं तेलंगाना.

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