विश्व भर में 23 जून 2016 को अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाया गया. यह दिवस विधवा महिलाओं की समस्याओं की प्रति जागरुकता फ़ैलाने के लिए मनाया जाता है.
यह दिवस विधवाओं की स्थिति पर प्रकाश डालता है जिससे पता चलता है कि उन्हें समाज में किस प्रकार की उपेक्षा एवं दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ज्यादातर नागरिक समाज संगठन भी समाज के इस उपेक्षित वर्ग की अनदेखी करते हैं.
आमतौर पर विधवाओं को समाज से बहिष्कार जैसी स्थिति से गुजरना पड़ता है. विधवाओं एवं उनके बच्चों के साथ किया जाने वाला दुर्व्यवहार मानव अधिकारों की श्रेणी में गंभीर उल्लंघन है.
पृष्ठभूमि
विश्व में लाखों विधवाएं किसी विशेष कानून के आभाव के कारण गरीबी, बहिष्कार, हिंसा, बेघर एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं.
विश्व में मौजूद सभी विधवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु संयुक्त राष्ट्र आम सभा (यूएनजीए) ने 23 जून 2011 को पहला अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की.
वर्ष 2011 से अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस विश्व के इस शोषित वर्ग के उत्थान के लिए मनाया जा रहा है
विश्व में लाखों विधवाएं किसी विशेष कानून के आभाव के कारण गरीबी, बहिष्कार, हिंसा, बेघर एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही हैं.
विश्व में मौजूद सभी विधवाओं को समाज की मुख्यधारा में लाने हेतु संयुक्त राष्ट्र आम सभा (यूएनजीए) ने 23 जून 2011 को पहला अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस मनाने की घोषणा की.
वर्ष 2011 से अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस विश्व के इस शोषित वर्ग के उत्थान के लिए मनाया जा रहा है
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