सरकार को 2300 मेगाहटर्ज स्पेक्ट्रम नीलामी से कम से कम 64,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न शुल्को तथा सेवाओं से 98,995 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे.
अंतर मंत्रालय समिति द्वारा मंजूर नियमों के तहत नीलामी में 700 मेगाहटर्ज का प्रीमियम बैंड भी शामिल रहेगा. इस बैंड के लिए आरक्षित मूल्य 11,485 करोड़ रुपये प्रति मेगाहटर्ज रखा गया है. इस बैंड में सेवा प्रदान करने की लागत अनुमानत: 2100 मेगाहटर्ज बैंड की तुलना में 70 प्रतिशत कम है, जिसका इस्तेमाल 3जी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है.
इस स्पेक्ट्रम बिक्री से 5.66 लाख करोड़ रुपये का संभावित राजस्व हासिल होने की उम्मीद है, जो दूरसंचार उद्योग के 2014-15 के 2.54 लाख करोड़ रुपये के सकल राजस्व के दोगुना से भी अधिक होगा.
उंचे फ्रीक्वेंसी बैंड एक जीएचजेड से अधिक मसलन 1800 मेगाहटर्ज, 2100 मेगाहटर्ज तथा 2300 मेगाहटर्ज में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियां 50 प्रतिशत का अग्रिम भुगतान करें और दो साल के स्थगन के बाद शेष राशि की अदायगी 10 साल में करें. पूर्व की नीलामियों में कंपनियों को 33 प्रतिशत अग्रिम भुगतान का विकल्प दिया गया था.
इसी तरह एक जीएचजेड से कम स्पेक्ट्रम मसलन 700 मेगाहटर्ज, 800 मेगाहटर्ज तथा 900 मेगाहटर्ज में कंपनियां 25 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान करें. उसके बाद दो साल की रोक के बाद शेष राशि का भुगतान 10 साल में करें. यह पूर्व की नीलामियों की तर्ज पर ही है, लेकिन ट्राई के सुझावों से भिन्न है.
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