आंध्र प्रदेश की नई राजधानी के रूप में अमरावती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किये गए शिलान्यास के साथ ही इसे स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का काम प्रारंभ हो गया. जिसपर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा, “मैं अमरावती को एक ऐसा शहर बनाना चाहता हूं जिस पर भारत को गर्व हो और दुनिया ईर्ष्या करे.” इसे भारत की पांचवीं (चार अन्य- भुवनेश्वर, चंडीगढ़, गांधी नगर और नया रायपुर) व्यवस्थित शहर के रूप में विकसित किया जायेगा. साथ ही यह भारत की पहली ग्रीन स्मार्ट सिटी बनेगी.
अमरावती शहर को 7500 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में 33 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन पर पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के ज़रिए अगले दस सालों में विकसित करने की योजना है. इसे बनाने में सिंगापुर मदद करेगा और बनने के बाद अमरावती वर्तमान से दस गुना बड़ा शहर होगा.
जहां अमरावती शहर बनाया जाना है वो विजयवाड़ा से क़रीब 40 किलोमीटर दूर तुल्लार मंडल के चारो ओर का इलाका है. राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों से बचने के लिए इस राजधानी क्षेत्र में सरकार ने धारा 144 लगा दी है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मुक़दमे और विरोध से बचने के लिए भूमि अधिग्रहण ऐक्ट का इस्तेमाल करने की बजाय सुई जेनेरिस नामक स्कीम प्रस्तावित किया, जिसके तहत किसान अपनी इच्छा से ज़मीन देंगे और इसके बदले उन्हें शहर में विकसित ज़मीन दी जाएगी.
पूलिंग स्कीम के अनुसार, ज़मीन के उपजाऊपन और उसके मौके के अनुसार किसानों को प्रति एकड़ पर एक हज़ार, 1200 या 1,500 वर्ग गज़ का प्लॉट दिया जाएगा. यहां तक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी अपनी चिंताएं ज़ाहिर की हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतने बड़े पैमाने के प्रोजेक्ट के लिए आंध्र सरकार प्रक्रियाओं या पर्यावरण क़ानूनों को अनदेखा कर रही है. इसके अलावा उनका आरोप है कि राजधानी क्षेत्र के चारो ओर संरक्षित वन क्षेत्र के 20,000 हेक्टेयर ज़मीन को अधिसूचि से बाहर कर दिया गया है.
विदित हो कि जून 2014 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने राज्य का विभाजन कर तेलंगाना को देश का 29वां राज्य बनाया. इस विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश के हिस्से में 26 में से 11 ज़िले आए और राज्य को कोई राजधानी नहीं मिली. लेकिन इसे 15 ज़िलों के साथ तेलंगाना को समुद्र तटीय और नदी वाला सम्पन्न इलाक़ा मिला. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश को राजधानी के तौर पर हैदराबाद का इस्तेमाल करने के लिए 10 वर्ष की इजाज़त दी गई.
जहां अमरावती शहर बनाया जाना है वो विजयवाड़ा से क़रीब 40 किलोमीटर दूर तुल्लार मंडल के चारो ओर का इलाका है. राजनीतिक विरोध प्रदर्शनों से बचने के लिए इस राजधानी क्षेत्र में सरकार ने धारा 144 लगा दी है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने मुक़दमे और विरोध से बचने के लिए भूमि अधिग्रहण ऐक्ट का इस्तेमाल करने की बजाय सुई जेनेरिस नामक स्कीम प्रस्तावित किया, जिसके तहत किसान अपनी इच्छा से ज़मीन देंगे और इसके बदले उन्हें शहर में विकसित ज़मीन दी जाएगी.
पूलिंग स्कीम के अनुसार, ज़मीन के उपजाऊपन और उसके मौके के अनुसार किसानों को प्रति एकड़ पर एक हज़ार, 1200 या 1,500 वर्ग गज़ का प्लॉट दिया जाएगा. यहां तक नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भी अपनी चिंताएं ज़ाहिर की हैं. पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतने बड़े पैमाने के प्रोजेक्ट के लिए आंध्र सरकार प्रक्रियाओं या पर्यावरण क़ानूनों को अनदेखा कर रही है. इसके अलावा उनका आरोप है कि राजधानी क्षेत्र के चारो ओर संरक्षित वन क्षेत्र के 20,000 हेक्टेयर ज़मीन को अधिसूचि से बाहर कर दिया गया है.
विदित हो कि जून 2014 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने राज्य का विभाजन कर तेलंगाना को देश का 29वां राज्य बनाया. इस विभाजन के बाद आंध्र प्रदेश के हिस्से में 26 में से 11 ज़िले आए और राज्य को कोई राजधानी नहीं मिली. लेकिन इसे 15 ज़िलों के साथ तेलंगाना को समुद्र तटीय और नदी वाला सम्पन्न इलाक़ा मिला. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश को राजधानी के तौर पर हैदराबाद का इस्तेमाल करने के लिए 10 वर्ष की इजाज़त दी गई.
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