केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीएसएस) पर मुख्यमंत्रियों के उप–समूह ने 27 अक्टूबर 2015 को अपनी रिपोर्ट नीति आयोग के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप दी.
इस उप– समूह की नियुक्ति राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (नीति) आयोग ने मार्च 2015 में वर्तमान सीएसएस की जांच करने और उपयुक्त युक्तिकरण की सिफारिश के लिए की थी.
मुख्य सिफारिशें
सीएसएस की फ्लेक्सी – फंड, जो जून 2014 से चल रहा है, में वर्तमान 10 फीसदी से 25 फीसदी की बढ़ोतरी की जानी चाहिए. इससे राज्यों को विकास एवं सामाजिक कल्याण योजनाओं पर खर्च करने में अधिक लचीलापन मिलेगा.
सीएसएस की संख्या जो वर्तमान में करीब 50 हैं, को कम किया जाना चाहिए. पैसे देने का पैटर्न इसी स्तर पर बनाए रखना चाहिए. 11 विशेष श्रेणी वाले राज्यों के लिए 90:10 (केंद्रः राज्य) और बाकी के राज्यों और प्रमुख योजनाओं के लिए 60:40, विशेष श्रेणी वाले राज्यों में वैकल्पिक योजनाओं के लिए 80:20 और अन्यों के लिए 50:50.
तेजी से बदलते सामाजिक– आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए सीएसएस की प्रत्येक दो वर्षों में समीक्षा की जानी चाहिए.
उप–समूह के बारे में
इसके गठन का फैसला शासी परिषद नीति आयोग के 8 फरवरी 2015 को हुई पहली बैठक में लिया गया था.
उप–समूह के बारे में
इसके गठन का फैसला शासी परिषद नीति आयोग के 8 फरवरी 2015 को हुई पहली बैठक में लिया गया था.
सीईओ के अलावा, बतौर समन्वयक नीति आयोग और बतौर संयोजक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री इसमें अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, तेलंगाना, झारखंड, केरल, मणिपुर, नगालैंड, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लेफ. गवर्नर बतौर सदस्य शामिल किए गए थे.
अन्य बातों के अलावा उप– समूह को बढ़ते हस्तांतरण और राज्यों को दिए जाने वाले उच्च राजस्व घाटा अनुदान हेतु वित्त आयोग की अनुशंसाओं पर सीएसएस में सुधार हेतु सुझाव देने का काम सौंपा गया था.
केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं में अंतर
केंद्र प्रायोजित योजनाएं– धन का एक निश्चित प्रतिशत ही राज्य वहन करते हैं. यह 50:50, 70:30, 75:25 या 90:10 के अनुपात में होता है और इनका कार्यान्वयन राज्य सरकारें करती हैं.
योजनाएं राज्य सूची के विषयों पर तैयार की जाती हैं ताकि राज्यों को अधिक ध्यान देने वाले क्षेत्रों में प्राथमिकता तय करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
केंद्रीय क्षेत्र की योजनाएं– ये पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित योजनाएं होती हैं और इसका कार्यान्वयन भी केंद्र सरकार का तंत्र करता है. ये योजनाएं केंद्र सरकार की सूची पर तैयार की जातीं हैं और इन योजनाओं के संसाधनों को आमतौर पर राज्यों को हस्तांतरित नहीं किया जाता है.
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