उच्चतम न्यायालय ने 1 नवम्बर 2016 को अपने एक अहम फैसले में कहा है कि उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता जानना मतदाता का मौलिक अधिकार है.
यदि कोई भी उम्मीदवार शैक्षणिक योग्यता की गलत जानकारी देता है तो उसका नामांकन रद्द हो सकता है.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• न्यायमूर्ति एआर दवे और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ ने चुनाव रद करने के मणिपुर उच्च न्यायालय के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व फैसलों को देखते हुए ये साफ हो गया है कि उम्मीदवार की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानना मतदाता का मौलिक अधिकार है.
• ये मामला वर्ष 2012 के मणिपुर विधानसभा चुनाव में प्रथ्वीराज सिंह ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था.उन्होंने अपनी शैक्षणिक योग्यता में अपने आप को एमबीए घोषित किया था. जिसे उम्मीदवार पुखरेम शरदचंद्र ने इसे गलत जानकारी कहते हुए चुनौती दी थी. बाद में ये साबित भी हुआ कि प्रथ्वीराज ने एमबीए नहीं किया था. प्रथ्वीराज का कहना था कि ये सिर्फ क्लेरिकल गलती है लेकिन उच्च न्यायालय ने उनकी ये दलील ठुकरा दी थी.
• उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अब ये कानूनन साबित हो चुका है कि मतदाता को प्राप्त सूचना के अधिकार में प्रत्येक उम्मीदवार को अपनी शैक्षणिक योग्यता बतानी होती है. शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी देकर उम्मीदवार ये नहीं कह सकता कि ये जानकारी ऐसी अहम प्रकृति की नहीं है जिसके आधार पर नामांकन रद्द हो. उच्चतम न्यायालय ने दलीलें नकारते हुए कहा कि शैक्षणिक योग्यता के बारे में की गई घोषणा अहम जानकारी मानी जाएगी.
• कानूनी प्रावधानों नियमों और फार्म 26 से ये भी साफ होता है कि उम्मीदवार का कर्तव्य है कि वह अपनी शैक्षणिक योग्यता की सही जानकारी दे.
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