राजस्थान सरकार ने ओबीसी आयोग के पूर्णगठन हेतू अधिसूचना जारी की-(25-OCT-2016) C.A

| Tuesday, October 25, 2016
राजस्थान उच्च न्यायालय की डबल बैंच ने 19 अक्टूबर 2016 को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग को भंग कर दिया है. उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की ओर से जवाब नहीं देने पर दो दिन पहले ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक जैन को अवमानना मामले में एक माह के वेतन को दान करने के आदेश दिए थे.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
उच्च न्यायालय ने अगस्त 2015 में राजस्थान सरकार को ओबीसी आयोग के लिए कानून बनाने को कहा था. सरकार ने आयोग तो गठित किया, लेकिन इसे संवैधनिक दर्जा नहीं दिया गया.

15 जातियों और जाटों के आरक्षण का मामला अटका था. उच्च न्यायालय के इस फैसले से 15 जातियों एवं उपजातियों के ओबीसी आरक्षण पर प्रभाव पड़ेगा क्योंकि इनके ओबीसी आरक्षण का विवाद आयोग में चल रहा है.
विधानसभा में इसके लिए कोई कानून ही नहीं पारित किया गया, जबकि इस आयोग के पास न सिर्फ 15 जातियों को ओबीसी में शामिल करने का मामला था, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण मामला धौलपुर और भरतपुर के जाटों को फिर से ओबीसी में शामिल करने का भी था.
आयोग ने इन सभी जातियों को आरक्षण का फायदा देने की दिशा में काम शुरू कर रखा था. ऐसे में अब ये जातिया सरकार के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
उच्चतम न्यायालय के आदेश से राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर के जाटों का आरक्षण समाप्त हो गया था और इसे लेकर पूरे पूर्वी राजस्थान में बहुत बड़ा आंदोलन चला था.
इस आंदोलन शांत करने के लिए ही सरकार ने आयोग को जाटों के आरक्षण के लिए अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंपी थी.
हालांकि कोर्ट द्वारा पर्याप्त समय बीतने के बावजूद राज्य सरकार ने आयोग को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया. 

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