खाद्य एवं कृषि पर संयुक्त राष्ट्र के निकाय आईएफएडी ने 17 अक्तूबर 2016 को भारत में गांवों के तीव्र एवं समावेशी कायाकल्प के लिये संस्थागत सुधार और समुचित नीति व निवेश प्रमुख कारक साबित हो सकते हैं.
कृषि विकास के लिये अंतरराष्ट्रीय कोष (आईएफएडी) द्वारा जारी ग्रामीण विकास रिपोर्ट 2016 में कहा गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में गरीबी गांव की समस्या है और अकेले आर्थिक वृद्धि इसे समाप्त करने के लिये पर्याप्त नहीं है.
इसमें कहा गया है की चीन, भारत और फिलीपीन तथा वियतनाम के अनुभव बताते हैं कि तीव्र गति से और समावेशी ग्रामीण रूपांतरण के लिये नीतियां, संस्थाएं और निवेश महत्वपूर्ण है.
रिपोर्ट के अनुसार एशिया प्रशांत क्षेत्र (एपीआर) में कई देशों के लिये श्रम गहन विनिर्माण समावेशी रोजगार वृद्धि का महत्वपूर्ण स्रोत बना रहेगा.
हालांकि कृषि आधारित ग्रामीण गैर-कृषि अर्थव्यवस्था की संरचनात्मक और ग्रामीण कायाकल्प के लिये महत्वपूर्ण भूमिक होगी. इसी से गांवों में रहने वाली गरीब आबादी मुख्यधारा में आएगी.
प्रत्येक देश में भूमि सुधार, ग्रामीण क्षेत्रों में मूल निवेश तथा अन्य क्षेत्रवार नीतियां निर्णायक कारक रही हैं.
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