एचएफसी को खत्म करने के लिए हुआ किगाली समझौता-(22-OCT-2016) C.A

| Saturday, October 22, 2016
170 से भी अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने 15 अक्टूबर 2016 को रवांडा के किगाली में शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैसों, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन्स (एचएफसी) के प्रयोग और उत्पादन में 2045 तक चरणबद्ध तरीके से कमी करने को सहमत हुए. समझौते में 1987 में ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर हुए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में संशोधन किया गया.
किगाली समझौता 2045 तक चरणबद्ध तरीके से शक्तिशाली ग्रीन हाउस गैसों, हाइड्रोफ्लोरोकार्बन्स (एचएफसी) के उत्पादन और उपयोग को खत्म करने के लिए बनाई गई समय-सारणी है. ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर हुए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के दलों के बीच हुई 28वीं बैठक में समझौता हो पाया.
वर्ष 2050 तक विश्व के तापमान में संभावित 0.5 सेंटिग्रेट की बढ़ोतरी को रोकने की दिशा में यह एक कदम है.
समझौते की विशेषताएं:
•    समझौते में एचएफसी को ग्लोबल वार्मिंग और परिणामस्वरूप ओजोन परत को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार गैसों की सूची में शामिल किया गया है. ये शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस आमतौर पर रेफ्रिजरेटरों और एयर- कंडीशनरों में इस्तेमाल किए जाते हैं.
•    विकसित देशों को 2019 तक अपने एचएफसी के प्रयोग को 2011-2013 के स्तर की तुलना में 10फीसदी तक कम करना चाहिए और वर्ष 2036 तक इसमें 85 फीसदी की कमी करनी चाहिए.
विकासशील देशों को खंडों में बांटा गया है और उनके लक्ष्य हैं:
क)  चीन और अफ्रीकी देशों जैसे विकासशील देश 2024 से परिवर्तन की शुरुआत करेंगे. ये देश 2020-2022 की तुलना में 2029 तक एचएफसी के उत्पादन में 10 फीसदी तक कटौती करेंगे. वर्ष 2045 तक इन्हें इसमें 80 फीसदी तक कटौती करनी होगी.
ख)    भारत, ईरान, इराक, पाकिस्तान, खाड़ी के अरब देशों में परिवर्तन 2028 से शुरु होगा. इन्हें 2024-2026 के स्तर से 2032 तक 10 फीसदी उत्सर्जन कम करना होगा और 2047 तक 85 फीसदी कम करना होगा.
टिप्पणीः एचएफसी जो ग्लोबल वार्मिंग के लिए घातक है, को बदलना विकासशील देशों के लिए मंहगा साबित होगा क्योंकि इन देशों के पास प्रौद्योगिकी के साथ विकल्पों की कमी है. 
इससे पहले 13 अक्टूबर को, भारत ने एचसीएफ–23 के उत्पादन और उपभोग में कमी करने के अपने फैसले की घोषणा की थी. एचसीएफ–23 एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है और इसमें ग्लोबल वार्मिंग की क्षमता 14800 है. यह गैस सामान्य रेफ्रिजरेंट गैस– एचसीएफसी–22 के निर्माण के दौरान बनती है.
हाइड्रोफ्लोरोकार्बन्स (एचएफसी):
•    यह एक पारिवारिक प्रकार की गैस है जिसका प्रयोग घर में इस्तेमाल किए जाने वाले रेफ्रिजरेटरों और एयर कंडिशनरों में बड़े पैमाने पर किया जाता है.
•    ये ऐसी गैसें हैं जो ग्लोबल वॉर्मिंग को काफी खराब करती हैं. इनमें कार्बनमोनॉक्साइड के मुकाबले 3830  गुना अधिक क्षमता होती है और इन गैसों का जीवन काल 14 वर्षों का होता है.
•    एचएफसी , सीएफसी का प्रतिस्थापन है. इसे 1987 में पृथ्वी के भंगुर ओजन परत की रक्षा और अंटार्कटिका के उपर ओजन छिद्र को भरने के लिए किए गए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत प्रतिस्थापित किया गया था.
•    इंस्टीट्यूट फॉर गवर्नेंस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा किए गए एक अध्ययन में  कहा गया है कि एचएफसी 2100 तक ग्लोबल वार्मिंग में 0.5 डिग्री की कमी ला सकता है. अध्ययन 2015 में जारी किया गया था.
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल:
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल वातावरण में ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों की प्रचूरता को कम करने के लिए उनके उत्पादन और उपभोग को कम करने और इस प्रकार पृथ्वी के भंगुर ओजन परत की रक्षा के लिए बनाया गया था. मूल मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर 16 सितंबर 1987 को सहमति हुई थी और यह 1 जनवरी 1989 से प्रभावी हुआ था.

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