केंद्र सरकार ने भारतीय पूंजीगत क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हेतु 175 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की-(11-FEB-2016) C.A

| Thursday, February 11, 2016
केंद्र सरकार ने भारतीय पूंजीगत क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में वृद्धि हेतु 175 करोड़ रुपए के निवेश की 10 फरवरी 2016 को घोषणा की. इस घोषणा के अनुसार, “भारतीय पूंजीगत सामान क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा” शीर्षक नाम की भारी उद्योग विभाग की एक योजना द्वारा लगभग 175 करोड़ रुपए के अनुदान के रूप में सरकारी सहायता दी जाएगी.
इस योजना में 975 करोड़ रुपए के खर्च का प्रावधान है, जिसमें 580 करोड़ रुपए का अनुदान अंश भी शामिल है.
उपरोक्त घोषणा के तहत भारत सरकार ने भारतीय पूंजीगत सामान क्षेत्र की प्रतिस्पर्धा में और वृद्धि के लिए तथा प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया अभियान पर जोर देने के लिए पांच परियोजनाओं को स्वीकृति दी.
संबंधित मुख्य तथ्य:
•   पहली परियोजना: भारत सरकार तथा कर्नाटक सरकार के बीच एक संयुक्त उपक्रम से संबंधित है. इसके अंतर्गत एनएमआईजेड, तुमकूर में जापानी पार्क के नजदीक अपनी तरह के पहले, एकीकृत मशीन के कलपुर्जों वाले पार्क के निर्माण के लिए 500 एकड़ भूमि निर्धारित की गई है. 421 करोड़ रुपए की लागत वाली परियोजना भारत सरकार की 125 करोड़ रुपए की अनुदान सहायता द्वारा आंशिक रूप से पूरी की जाएगी. औद्योगिक बुनियादी ढांचे की गुणवत्ता को वैश्विक स्तर तक बढ़ाने में सरकारी सहायता सहायक होगी. पार्क में 117 मशीनी कलपुर्जों की इकाईयां होंगी. सम्पूर्ण रूप से कार्यान्वित होने पर इस पार्क में मशीनी कलपुर्जों का भारतीय कारोबार 9000 करोड़ रुपए होने की संभावना है. इसके साथ-साथ निर्यात/विदेशी मुद्रा में भी उसी के अनुरूप बचत होगी. प्राथमिक तथा सहायक विनिर्माण क्षेत्र तथा वाणिज्यिक/प्राशासनिक क्षेत्र में भी एक लाख से अधिक रोजगारों की सृजना होगी. प्लग तथा प्ले मॉडल में औद्योगिक बुनियादी ढांचे का वैश्विक स्तर, पार्क की विशिष्टता है. कई एमएसएमई तथा स्टार्ट अप आरक्षित स्थानों पर शुरू किए जाएंगे. केन्द्र-राज्य सहयोग के बीच, वैश्विक स्तर की औद्योगिक सुविधाओं के लिए यह पहल एक उदाहरण तथा प्रेरणास्रोत साबित होने की संभावना है. इस तरह से इस उद्योग द्वारा सामना की जा रही निम्न स्तरीय औद्योगिक बुनियादी ढांचे से संबंधित मुख्य बाधा समाप्त हो जाएगी.
•  दूसरी परियोजना: पीएसजी कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी, कोयम्बटूर मे वेल्डिंग टेक्नोलॉजी, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित किए जाने से संबंधित है. पीएसजी ने वेल्डिंग अनुसंधान संस्थान, वेल्डिंग उपकरण/उत्पाद निर्माता तथा फिक्की आदि जैसे प्रमुख साझेदारों के सहयोग से एक आधुनिक वेल्डिंग प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना करने का प्रस्ताव रखा है. सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भारतीय निर्माताओं को केन्द्र द्वारा विकसित नवीनतम प्रौद्योगिकी उपलब्ध करवाकर सहायता प्रदान करेगा. यह प्रौद्योगिकी, वेल्डिंग मशीन के स्वदेश निर्मित कलपुर्जे, उपभोग्य सामग्री तथा स्थानीय रूप से प्रशिक्षित श्रमशक्ति से संबंधित है जिनमें विशेष रूप से ऐसे वेल्डिंग कार्य है जिनमें माहिर लोगों की जरूरत होती है तथा सामरिक क्षेत्रों को इनकी आवश्यकता होती है.
•  तीसरी परियोजना: स्वीकृति एचएमटी मशीन टूल्स लिमिटेड को दी गई है, जो कि एक पीएसयू है जिसने भारत में मशीन कलपुर्जे उद्योग की स्थापना करने तथा उसके विकास में पथ प्रदर्शक का काम किया है. नवीनतम खराद तथा चक्की केन्द्र का निर्माण करके इस प्रस्ताव द्वारा एचएमटी अपने उत्पाद संविभाग का आधुनिकीकरण कर रहा है. इसके लिए विश्व के अग्रणी औद्योगिक प्रौद्योगिकी विकास संस्थान, जर्मनी के मेसर्स फ्रोनहोफर के साथ वह सहयोग कर रहा है. इसके परिणामस्वरूप एचएमटी रेलवे, रक्षा, जहाजरानी, उड्डयन तथा एयरोस्पेस आदि को अत्याधुनिक तथा नवीनतम मशीनों की आपूर्ति कर सकेगा.
• चौथी परियोजना: इसका प्रस्ताव एचईसी, रांची से है, जो भारी इंजीनियरिंग उपकरण निर्माण के क्षेत्र में एक केन्द्रीय पीएसयू है. यूएसएसआर के सहयोग से स्थापित एचईसी भारी इंजीनियरिंग उपकरण निर्माण में शीर्ष में है, जिसके साथ विश्व में कम ही कंपनियां मुकाबला कर सकती है. वर्तमान स्वीकृति के अंतर्गत एचईसी मेसर्स सीएनआईआईटीएमएएसएच के साथ सहयोग कर रही है जो रूसी सरकार का औद्योगिक प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान है. इस सहयोग का एक महत्व यह है कि कई दशकों के बाद सामरिक रूप से महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियां भारत में सार्वजनिक क्षेत्र में फिर से प्रवेश करेंगी.
• पांचवी  परियोजना: तीन वर्षों  में 1350 इंजीनियरों को नवीनतम प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण देने से यह प्रस्ताव संबंधित है, जिनमें इलेक्ट्रो स्लैग री-मेलटिंग, वेल्डिंग गियर बॉक्स निर्माण तथा अविनाशकारी परीक्षण शामिल है.

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