प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 17 फरवरी 2016 को गुरूत्वाकर्षण तरंगों पर अनुसंधान के लिए लिगो-भारत वृहत विज्ञान प्रस्ताव को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी.
परमाणु ऊर्जा तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा लिगो-भारत परियोजना (लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल-वेव अब्ज़रवेटरी इन इंडिया) के नाम से प्रस्ताव शुरू किया गया.
परमाणु ऊर्जा तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा लिगो-भारत परियोजना (लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल-वेव अब्ज़रवेटरी इन इंडिया) के नाम से प्रस्ताव शुरू किया गया.
लिगो-भारत परियोजना
• देश में गुरूत्वाकर्षण तरंगों की वेधशाला, लिगो-भारत परियोजना अमेरिका में लिगो प्रयोगशाला चलाने वाली केल्टेरक और एमआईटी के सहयोग से स्थापित की जाएगी.
• लिगो-भारत से भारतीय उद्योग के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसर उत्पन्न होंगे.
• समतल भू-भाग में अल्ट्रा हाई वैक्यू्म पर 8 किलोमीटर लम्बे बीम ट्यूब का निर्माण किया जाएगा.
• इस परियोजना से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को गुरूत्वाकर्षण तरंगों की गहराई में जाकर अध्ययन करने और नये खगोलीय क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा.
• इस परियोजना से भारतीय छात्रों और युवा वैज्ञानिकों को ज्ञान के नये क्षेत्रों को तलाशने की प्रेरणा मिलेगी और देश में वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा.
• देश में गुरूत्वाकर्षण तरंगों की वेधशाला, लिगो-भारत परियोजना अमेरिका में लिगो प्रयोगशाला चलाने वाली केल्टेरक और एमआईटी के सहयोग से स्थापित की जाएगी.
• लिगो-भारत से भारतीय उद्योग के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण अवसर उत्पन्न होंगे.
• समतल भू-भाग में अल्ट्रा हाई वैक्यू्म पर 8 किलोमीटर लम्बे बीम ट्यूब का निर्माण किया जाएगा.
• इस परियोजना से वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को गुरूत्वाकर्षण तरंगों की गहराई में जाकर अध्ययन करने और नये खगोलीय क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा.
• इस परियोजना से भारतीय छात्रों और युवा वैज्ञानिकों को ज्ञान के नये क्षेत्रों को तलाशने की प्रेरणा मिलेगी और देश में वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा.
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