9 फरवरी 2016 को भारत के नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और यूनाइटेड स्टेट्स टेक्निकल डेवलपमेंट एजेंसी (यूएसटीडीए) ने भारतीय विमानन सुरक्षा तकनीकी सहायता के दूसरे चरण के लिए अनुदान समझौते पर हस्ताक्षर किया.
परियोजना के दूसरे चरण का उद्देश्य IASA श्रेणी 1 की बहाली के लिए 2014 में शुरु किए गए प्रयासों को जारी रखना और संचालन, उड़ान योग्यता और लाइसेंस के क्षेत्र में प्रणालीगत सुधार लाना है. यह सामान्य विमानन और व्यापार विमानन के घटकों को भी शामिल करेगा.
पृष्ठभूमि
• अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) ने 2012 में किए गए अपने ऑडिट में भारतीय विमानन के बारे में कुछ सुरक्षा चिंताएं जाहिर की थीं. इसके बाद सितंबर 2013 में अमेरिका की फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) ने एक अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा आकलन (IASA) और दिसंबर 2013 में इसकी समीक्षा की.
• जनवरी 2014 में भारत को श्रेणी 2 की रेटिंग दी गई.
• मार्च 2014 में यूनाइटेड स्टेट्स टेक्निकल डेवलपमेंट एजेंसी (यूएसटीडीए) और एफएए मिलकर डीजीसीए के पास आए और एफएए आईएएसए के जांच परिणामों को संबोधित करने और भारत को फिर से श्रेणी 1 का दर्जा दिलाने के लिए यूएसटीडीए अनुदान समझौते के तहत मदद की पेशकश की.
• इस अनुदान समझौते के तहत अमेरिकी ठेकेदार 'द विक्स ग्रुप (टीडब्ल्यूजी)' ने डीजीसीए की जांच निष्कर्षों को संबोधित करने में सहायता की और दिसंबर 2014 में एफएए द्वारा पुनर्मूल्यांकन के लिए तैयार किया.
• मार्च 2015 में इस पुनर्मूल्यांकन और फॉलो– अप दौरे के आधार पर अप्रैल 2015 में भारत को फिर से श्रेणी 1 का दर्जा दे दिया गया.
• जनवरी 2014 में भारत को श्रेणी 2 की रेटिंग दी गई.
• मार्च 2014 में यूनाइटेड स्टेट्स टेक्निकल डेवलपमेंट एजेंसी (यूएसटीडीए) और एफएए मिलकर डीजीसीए के पास आए और एफएए आईएएसए के जांच परिणामों को संबोधित करने और भारत को फिर से श्रेणी 1 का दर्जा दिलाने के लिए यूएसटीडीए अनुदान समझौते के तहत मदद की पेशकश की.
• इस अनुदान समझौते के तहत अमेरिकी ठेकेदार 'द विक्स ग्रुप (टीडब्ल्यूजी)' ने डीजीसीए की जांच निष्कर्षों को संबोधित करने में सहायता की और दिसंबर 2014 में एफएए द्वारा पुनर्मूल्यांकन के लिए तैयार किया.
• मार्च 2015 में इस पुनर्मूल्यांकन और फॉलो– अप दौरे के आधार पर अप्रैल 2015 में भारत को फिर से श्रेणी 1 का दर्जा दे दिया गया.
0 comments:
Post a Comment