भारत सरकार के केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 29 जनवरी 2016 को ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय उन्नत मूल्य सन्धि की. इस सन्धि पर हस्ताक्षर के साथ केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की तीन द्विपक्षीय सन्धियां हुईं. इनमें से पहली सन्धि उन्नत मूल्य को लेकर है जिसे दिसम्बर 2014 में जापान के साथ भी किया गया था.
मुख्य तथ्य:
• द्विपक्षीय उन्नत मूल्य सन्धियां ब्रिटेन आधारित बहुराष्ट्रीय कंपनी के दो भारतीय समूहों के साथ किए गए.
• भारत-यूके डीटीएए के तहत परस्पर समझौता प्रक्रिया के अंतर्गत द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत दोनों देशों के सक्षम प्राधिकारी शर्तों को शीघ्र ही अंतिम रूप दिया गया.
• उन्नत मूल्य सन्धियां वर्ष 2013-14 और 2017-18 की अवधि को समायोजित करती हैं और इनसे हटने की व्यवस्था दो वर्षों यानी वर्ष 2011-12 और 2012-13 के लिए है.
• ऐसे कारोबार को लेकर मूल्यों का विवाद निपटाने के लिए वर्ष 2006-07 और 2010-11 में इन दोनों कंपनियों ने प्रत्येक परस्पर समझौता प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया.
• द्विपक्षीय उन्नत मूल्य संधियों पर हस्ताक्षर के साथ दोनों भारतीय कंपनियों को 12 साल के लिए करों में टिकाऊपन की सुविधा मिलेगी.
• इनमें परस्पर समझौता प्रक्रिया के तहत 5 साल के लिए और उन्नत मूल्य सन्धि 7 साल के लिए है.
• उपरोक्त समझौता स्थिर और अनुमान लगाई जा सकने वाली कर व्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
• दो उन्नत मूल्य सन्धियां प्रबंधन और सेवा प्रभार के भुगतान और अधिशुल्क की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं. इसके तहत कारोबार से धीरे-धीरे मूल्यों के विवाद को हल करने में मदद मिलेगी.
• अब तक कुल 41 संधियों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, जिनमें से 38 एकपक्षीय हैं और तीन द्विपक्षीय.
• द्विपक्षीय उन्नत मूल्य सन्धियां ब्रिटेन आधारित बहुराष्ट्रीय कंपनी के दो भारतीय समूहों के साथ किए गए.
• भारत-यूके डीटीएए के तहत परस्पर समझौता प्रक्रिया के अंतर्गत द्विपक्षीय व्यवस्था के तहत दोनों देशों के सक्षम प्राधिकारी शर्तों को शीघ्र ही अंतिम रूप दिया गया.
• उन्नत मूल्य सन्धियां वर्ष 2013-14 और 2017-18 की अवधि को समायोजित करती हैं और इनसे हटने की व्यवस्था दो वर्षों यानी वर्ष 2011-12 और 2012-13 के लिए है.
• ऐसे कारोबार को लेकर मूल्यों का विवाद निपटाने के लिए वर्ष 2006-07 और 2010-11 में इन दोनों कंपनियों ने प्रत्येक परस्पर समझौता प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया.
• द्विपक्षीय उन्नत मूल्य संधियों पर हस्ताक्षर के साथ दोनों भारतीय कंपनियों को 12 साल के लिए करों में टिकाऊपन की सुविधा मिलेगी.
• इनमें परस्पर समझौता प्रक्रिया के तहत 5 साल के लिए और उन्नत मूल्य सन्धि 7 साल के लिए है.
• उपरोक्त समझौता स्थिर और अनुमान लगाई जा सकने वाली कर व्यवस्था की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.
• दो उन्नत मूल्य सन्धियां प्रबंधन और सेवा प्रभार के भुगतान और अधिशुल्क की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं. इसके तहत कारोबार से धीरे-धीरे मूल्यों के विवाद को हल करने में मदद मिलेगी.
• अब तक कुल 41 संधियों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं, जिनमें से 38 एकपक्षीय हैं और तीन द्विपक्षीय.
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