इसरो ने स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम आईआरएनएसएस-1जी सेटेलाइट लॉन्च करके इतिहास रचा-(01-MAY-2016) C.A

| Sunday, May 1, 2016
pslv-c33भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 28 अप्रैल 2016 को पीएसएलवी-सी33 के साथ भारत के सातवें भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस 1जी) को सब जियोसेंक्रोनौस ट्रान्सफर ऑर्बिट (सब-जीटीओ) में प्रक्षेपित किया.  

इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से फर्स्ट लांच पैड (एफएलपी) से छोड़ा गया.

पीएसएलवी- सी33 ने 1,425 किलोग्राम वजनी आईआरएनएसएस-1जी उपग्रह 497.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित किया. पीएसएलवी ठोस और तरल ईंधन द्वारा संचालित चार चरणों/इंजन वाला प्रक्षेपण यान है. यह सैटेलाइट आईआरएनएसएस-1जी (भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली-1जी) के सात उपग्रहों के समूह का हिस्सा है.

इससे भारत रूस और अमेरिका जैसे उन समूह देशों में शामिल हो गया है जिनके पास अपने नेविगेशन सिस्टम हैं.

आईआरएनएसएस-1जी 
यह इस श्रेणी का सातवां उपग्रह है. इससे पहले आईआरएनएसएस-1ए, 1बी, 1सी, 1डी, 1ई एवं 1एफ को पीएसएलवी-सी 22, पीएसएलवी-सी 24, पीएसएलवी-सी 26, पीएसएलवी-सी 27, पीएसएलवी-सी 31 एवं पीएसएलवी-सी 32 द्वारा जुलाई 2013, अप्रैल 2014, अक्टूबर 2014 , मार्च 2015, जनवरी 2016 एवं मार्च 2016 में प्रक्षेपित किया गया.

अन्य आईआरएनएसएस सेटेलाईटों की भांति यह भी अन्य आईआरएनएसएस की तरह कार्य करता है.
पेलोड
इस सेटेलाईट को 12 वर्ष की आयुसीमा के अनुसार डिजाईन किया गया है जिसमें दो पेलोड हैं – नेविगेशन एवं रेंजिंग.

•    नेविगेशन पेलोड – यह नेविगेशन सर्विस के सिग्नल को उपयोगकर्ता तक पहुंचता है. यह एल5 बैंड एवं एस बैंड पर कार्य करता है. उच्च क्षमता वाली रूबीडियम एटॉमिक घड़ी इस नेविगेशन पेलोड का भाग है.
•    रेंजिंग पेलोड – इसमें सी बैंड ट्रांसपोर्टर शामिल है जो उपग्रह को सटीक रेंज उपलब्ध कराने में सहायता करता है.

आईआरएनएसएस की विशेषताएं
•    इसमें सात सेटेलाईट मौजूद हैं जो रियल टाइम डाटा उपलब्ध कराएँगे जिससे सड़क, वायु एवं समुद्र में चलने वाले वाहनों को सहायता प्राप्त हो सकेगी.
•    यह एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन सेटेलाईट सिस्टम है जिसे भारत एवं भारत के 1500 किलोमीटर क्षेत्र की जानकारी हेतु डिजाईन किया गया है.
•    यह दो प्रकार की सेवाएं देगा, स्टैण्डर्ड पोजिशनिंग सर्विस (एसपीएस) – यह सभी के लिए उपलब्ध रहेगी एवं रिसट्रिकटेड सर्विसेज (आरएस) – जो केवल मान्यताप्राप्त उपयोग =कर्ताओं को उपलब्ध कराई जाएगी.
•    सात उपग्रहों में से तीन जियोस्टेशनरी एवं चार नॉन-जियोस्टेशनरी हैं.
•    आईआरएनएसएस प्लेटफार्म उपयोग करने पर भारत सरकार अपना ग्लोबल नेविगेशनल सेटेलाईट सर्विस, (जीआईएनएस) आरंभ करने की सोच रही है. यह यूएसए के जीपीएस सिस्टम के समकक्ष होगा.

कुछ देश नेविगेशन के लिए 20 सी अधिक सेटेलाइटों का प्रयोग कर रहे हैं जबकि भारत ने केवल सात उपयोग करके नया कीर्तिमान स्थापित किया है. इस प्रणाली के विकसित होने से भारत की सुरक्षा एवं नागरिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी.

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