वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड ने प्रोटेक्टिंग पिपुल थ्रू नेचर शीर्षक से रिपोर्ट जारी की-(08-MAY-2016) C.A

| Sunday, May 8, 2016
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) ने अप्रैल 2016 में 'नेचुरल वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स एज ड्राइवर्स ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट' उपशीर्षक के साथ 'प्रोटेक्टिंग पिपुल थ्रू नेचर' शीर्षक से रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी घाटों समेत दुनिया के 96 देशों में 229 प्राकृतिक और मिश्रित विश्व धरोहर स्थल में से आधे धरोहर स्थल गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं.
इसके अलावा संरक्षण के प्रतिष्ठित प्रतीक के अनूठे मूल्यों पर खतरा मंडरा रहा है जिससे उन पर आश्रित लोगों और उनके कल्याण पर जोखिम पैदा हो गया है. 
रिपोर्ट में वर्णित मुख्य तथ्य
विश्व के सभी प्राकृतिक धरोहर स्थलों में से लगभग आधे तथा उनके अद्वितीय सार्वभौमिक मूल्य, हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों से खतरे में हैं.
• ग्यारह मिलियन (110 लाख या 1 करोड़ 10 लाख) लोग, पुर्तगाल की आबादी के बराबर, इन स्थलों पर निर्भर हैं और हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों की वजह से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
• इन हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों से बच कर और स्थायी, ध्यानपूर्वक प्रबंधित विकल्पों पर फोकस कर विश्व धरोहर स्थलों की स्थिति और उनके द्वारा दिए जाने वाले लाभों में सुधार लाया जा सकता है.
• जैसा कि स्थायी विकास में समर्थन देने के लिए विश्व धरोहर स्थलों की क्षमता को विश्व धरोहर समिति ने स्वीकार किया है, आगे बढ़ने के लिए इसे स्थलों के प्रबंधन में लागू किया जाना चाहिए.
• अच्छी तरह से प्रबंधित विश्व धरोहर स्थलों के उदाहरणों में पांच मुख्य सिद्धांत रहे हैं और ये निर्णय करने वालों को उचित एवं संरक्षण, स्थायित्व एवं विकास के बीच न्यायसंगत संतुलन प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं. उन पांच मुख्य सिद्धांतों में शामिल है–
1. मूल्यांकन, क्योंकि यह सामाजिक रूप से जागरुक है.
2. दीर्घ–कालिक मूल्य पर फोकस करने वाला निवेश संबंधी फैसला
3. सभी लाभार्थियों की प्रतिनिधि, सरकार.
4. नीतिनिर्माण जो कि साक्ष्य आधारित और पारदर्शी हो.
5. नियामक जो बाध्यकारी और अनुपालन कराने में सक्षम हो. 
भारत के संबंध में रिपोर्ट
• भारत के संदर्भ में रिपोर्ट ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कंजर्वेशन एरिया, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, मानस वन्यजीव अभयारण्य, नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान औऱ पश्चिमी घाटों के बारे में बात की गई है.
• रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे सात भारतीय स्थलों में से तीन– मानस वन्यजीव अभयारण्य, सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान और पश्चिमी घाटों की श्रेणी स्थल को खनन जैसे हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों  से खतरा है.
• पश्चिमी घाट में विलुप्त्प्राय एशियाई हाथियों का सबसे अधिक आबादी है. यहां भारतीय भैंसा भी पाया जाता है. ये जानवर इलाके में तेल/ गैस की खदानों और खानों/ खनन गतिविधियों की वजह से खतरे में हैं.

• दूसरी तरफ, सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान और मानस वन्यजीव अभयारण्य गैर– खनन खतरों से जूझ रहे हैं.
• गैर– खनन खतरों में बांध/ जल प्रबंधन/ जल प्रयोग ( अस्थिर पानी का प्रयोग), लकड़ी/ पेड़ों का काटना, समुद्री/ ताजा पानी की मछलियों को पकड़ना (सीमा से अधिक मछली मारना), सड़कें/ रेलवे, समुद्री मार्ग और सुविधा/ सेवा मार्ग शामिल हैं. 
विश्व से काम करने की अपील
गैलापागोस द्वीपसमूहों, माउंट किलिमंजारो और ग्रैंड कैनन जैसी प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों के प्रबंध के लिए WWF ने राष्ट्रीय सरकारों, विश्व धरोहर समिति, कॉरपोरेट और वित्तीय निकायों एवं नागरिक समाज समूहों एवं गैर– सरकारी संगठनों से काम करने की अपील की है. 
राष्ट्रीय सरकार द्वारा किए जाने वाले काम में शामिल हैं–
• सार्वभौमिक महत्व एवं अन्य प्राकृतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों पर गंभीर प्रभाव डालने वाले हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों को विश्व धरोहर स्थलों या ऐसे क्षेत्रों में जहां ये नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, न चलाया जाना सुनिश्चित करें.
• स्थायी विकास लक्ष्यों के नतीजों को प्राप्त करने के लिए विश्व धरोहर स्थलों की क्षमता को मान्यता प्रदान करने के प्रथम कदम के तौर पर विश्व धरोहर स्थल सम्मेलन की प्रक्रियाओं में स्थायी विकास दृष्टिकोण, जैसा कि सम्मेलन के सदस्य देशों द्वारा हाल ही में अपनाई गई नीति में दिया गया है, को शामिल करें.
• स्थायी विकास के लिए 2030 एजेंडा, खासकर लक्ष्य संख्या 14 और 15, को आगे बढ़ाने के क्रम में विश्व धरोहर स्थलों की पारिस्थितिकी तंत्र और जैवविविधता मूल्य को राष्ट्रीय एवं स्थानीय नियोजन एवं विकास रणनीतियों में शामिल करें.
• मुफ्त, पूर्व और सूचित सहमति के सिद्धांत को लागू करते हुए इस बात की गारंटी दें कि विश्व धरोहर स्थलों पर प्रस्तावित परियोजनाओँ के बारे में इन स्थलों पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर करने वालों को सूचित किया जाएगा और उनसे पर्याप्त परामर्श किया जाएगा. साथ ही समुदाय परामर्श एवं संलग्नता के लिए लागू अंतरराष्ट्रीय मानकों को भी अपनाया जाएगा. क्लियर बफर जोन को परिभाषित करें जो विश्व धरोहर स्थलों को एक अतिरिक्त सुरक्षा परत प्रदान कर वहां के मूल्यों को बनाए रखने में मदद करेगा.
• अपनी सीमा में या सीमा से संचालन करने वाली जवाबदेह बहुराष्ट्रीय उद्यमों का कॉरपोरेट जवाबदेही एवं प्रबंधन के उच्च मानकों का पालन करें.

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