तिब्बत की निर्वासित सरकार के मुख्य चुनाव अधिकारी चोफेल शोसूर द्वारा जारी सूचना के अनुसार 48 वर्षीय सांगे को कुल 33,876 (57.08 फीसदी) वोट मिले जबकि उनके एकमात्र प्रतिद्वंदी तिब्बती संसद के अध्यक्ष पेंपा त्सेरिंग को 24,864 (41.89 फीसदी) वोट मिले. निर्वासित तिब्बती संसद के लिए कुल 45 सदस्य निर्वाचित हुए.
अंतिम चरण का मतदान 20 मार्च को हुआ. मुख्य चुनाव अधिकारी की अगुवाई वाली आठ सदस्यीय स्थायी समिति ने 20 से 22 अप्रैल तक धर्मशाला में अंतिम चरण की मतगणना की.
लोबसांग सांगे
• दार्जिलिंग में जन्मे सांगे ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने से पूर्व दिल्ली में पढ़ाई की थी.
• वह हार्वर्ड लॉ स्कूल में सीनियर फैलो रह चुके हैं.
• सांगे सिक्किम की नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य हैं.
• वे 8 अगस्त 2011 से निर्वासित तिब्बती सरकार के सिक्योंग (प्रधानमंत्री) हैं.
• दार्जिलिंग में जन्मे सांगे ने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका जाने से पूर्व दिल्ली में पढ़ाई की थी.
• वह हार्वर्ड लॉ स्कूल में सीनियर फैलो रह चुके हैं.
• सांगे सिक्किम की नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य हैं.
• वे 8 अगस्त 2011 से निर्वासित तिब्बती सरकार के सिक्योंग (प्रधानमंत्री) हैं.
पृष्ठभूमि
यह चुनाव दलाई लामा द्वारा 2011 में निर्वासित सरकार के प्रमुख पद से हटने के बाद दूसरे चुनाव हैं. लामा ने यह पद इसलिए छोड़ा क्योंकि वे तिब्बतियों के धर्म गुरु पद को भली-भांति निभाना चाहते थे.
40 देशों में रह रहे तिब्बतियों ने इस चुनाव के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
दलाई लामा एवं उनके अनुयायी वर्ष 1959 से ही भारत स्थित धर्मशाला में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
यह चुनाव दलाई लामा द्वारा 2011 में निर्वासित सरकार के प्रमुख पद से हटने के बाद दूसरे चुनाव हैं. लामा ने यह पद इसलिए छोड़ा क्योंकि वे तिब्बतियों के धर्म गुरु पद को भली-भांति निभाना चाहते थे.
40 देशों में रह रहे तिब्बतियों ने इस चुनाव के लिए अपने मताधिकार का प्रयोग किया.
दलाई लामा एवं उनके अनुयायी वर्ष 1959 से ही भारत स्थित धर्मशाला में निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
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